यहाँ पर SCERT(HISTORY) CLASS 8; CHP-12; राष्ट्रीय आंदोलन (1885-1947) "भारत के महत्वपूर्ण शुरुआती राजनैतिक संगठनों" को आसान भाषा में, बिंदु-दर-बिंदु (point-wise) रूप में प्रस्तुत किया गया है, ताकि आप इसे आसानी से याद कर सकें या अपने नोट्स में शामिल कर सकें।
Table of Contents
✅ भारत के महत्वपूर्ण प्रारंभिक राजनैतिक संगठन
🔹 1851-52
- ब्रिटिश भारत के तीन प्रमुख प्रांतों (बंगाल, मद्रास, बम्बई) में अलग-अलग संगठन बने।
- इनमें अंग्रेज अधिकारी और भारतीय जमींदार शामिल थे।
- मुख्य संगठन:
- बंगाल – British Indian Association
- मद्रास – Madras Native Association
- बम्बई – Bombay Association
🔹 1867 – पूना सार्वजनिक सभा (Poona Sarvajanik Sabha)
- स्थापक: महादेव गोविन्द रानाडे
- स्थान: पूना
- विशेषता: इसमें सामान्य मध्यमवर्गीय लोग शामिल थे।
- उद्देश्य: आम जनता की समस्याओं को ब्रिटिश सरकार तक पहुँचाना।
🔹 1876 – इंडियन एसोसिएशन (Indian Association)
- स्थापक: सुरेन्द्रनाथ बनर्जी
- स्थान: कलकत्ता
- विशेषता: इसमें पढ़े-लिखे मध्यमवर्गीय लोग शामिल थे।
- उद्देश्य: राजनीतिक जागरूकता फैलाना और ब्रिटिश सरकार से सुधार की माँग करना।
🔹 1878 – नेटिव प्रेस और पोलिटिकल एसोसिएशन कॉन्फ्रेंस
- स्थान: कलकत्ता
- उद्देश्य: भारतीय प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा करना और राजनीतिक मामलों पर चर्चा करना।
🔹 1883 – अखिल भारतीय सम्मेलन (All India Conference)
- नेता: सुरेन्द्रनाथ बनर्जी
- उद्देश्य: देश के पढ़े-लिखे भारतीयों को एक मंच पर लाना।
🔹 1884 – मद्रास महाजन सभा (Madras Mahajan Sabha)
- स्थान: मद्रास
- विशेषता: इसमें भी मध्यमवर्गीय पढ़े-लिखे लोग शामिल थे।
- उद्देश्य: राजनीतिक सुधारों के लिए आंदोलन करना।
🔹 1885 – इलाहाबाद पीपुल्स एसोसिएशन एवं बॉम्बे प्रेसिडेंसी एसोसिएशन
- दोनों संस्थाओं में भी मध्यमवर्ग के लोग शामिल थे।
- उद्देश्य: अंग्रेजों के विरुद्ध राजनीतिक चेतना जगाना।
🔹 28 दिसम्बर 1885 – भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (Indian National Congress)
- स्थापना स्थल: मुंबई (गोकुलदास तेजपाल संस्कृत महाविद्यालय)
- स्थापक: ए. ओ. ह्यूम (A.O. Hume – एक अंग्रेज ICS अधिकारी)
- अध्यक्ष: डब्ल्यू.सी. बनर्जी
- उद्देश्य: एक अखिल भारतीय मंच से भारतीयों की समस्याओं और सुझावों को ब्रिटिश सरकार तक पहुँचाना।
📌 सारांश
- 1851 से 1885 तक कई राजनीतिक संगठन बने।
- शुरुआत में इनमें ज़मींदार और अंग्रेज शामिल थे, लेकिन बाद में मध्यमवर्गीय पढ़े-लिखे भारतीयों ने नेतृत्व किया।
- इन सभी संगठनों ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की नींव तैयार की।
यह रहा “भारत के महत्वपूर्ण शुरुआती राजनैतिक संगठन” पर आधारित Mock Test (15 प्रश्न) जो BPSC TRE 4 लेवल के अनुसार तैयार किया गया है। हर प्रश्न में 4 विकल्प हैं, और अंत में उत्तर व व्याख्या दी गई है।
📝 Mock Test: भारत के महत्वपूर्ण शुरुआती राजनैतिक संगठन
प्रश्न 1. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना किस वर्ष हुई थी?
(अ) 1884
(ब) 1885
(स) 1890
(द) 1875
प्रश्न 2. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना कहाँ हुई थी?
(अ) पुणे
(ब) दिल्ली
(स) मुंबई
(द) कलकत्ता
प्रश्न 3. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना में किस ब्रिटिश अधिकारी की भूमिका थी?
(अ) लॉर्ड डलहौज़ी
(ब) ए.ओ. ह्यूम
(स) जॉन लॉरेंस
(द) विलियम बेंटिक
प्रश्न 4. मुस्लिम लीग की स्थापना किस वर्ष हुई थी?
(अ) 1905
(ब) 1906
(स) 1909
(द) 1911
प्रश्न 5. मुस्लिम लीग की स्थापना कहाँ हुई थी?
(अ) लखनऊ
(ब) अलीगढ़
(स) ढाका
(द) कराची
प्रश्न 6. मुस्लिम लीग के पहले अध्यक्ष कौन थे?
(अ) मुहम्मद अली जिन्ना
(ब) आगा खाँ
(स) सर सैयद अहमद ख़ान
(द) मौलाना अबुल कलाम आज़ाद
प्रश्न 7. ‘भारत सेवक समाज’ की स्थापना किसने की थी?
(अ) बाल गंगाधर तिलक
(ब) गोपाल कृष्ण गोखले
(स) दादाभाई नौरोजी
(द) एनी बेसेंट
प्रश्न 8. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का पहला अधिवेशन किसने अध्यक्षता की थी?
(अ) सुरेन्द्रनाथ बनर्जी
(ब) दादाभाई नौरोजी
(स) व्योमेश चंद्र बनर्जी
(द) गोपाल कृष्ण गोखले
प्रश्न 9. गरम दल और नरम दल में विभाजन किस अधिवेशन में हुआ था?
(अ) लखनऊ अधिवेशन 1916
(ब) सूरत अधिवेशन 1907
(स) कलकत्ता अधिवेशन 1906
(द) इलाहाबाद अधिवेशन 1896
प्रश्न 10. इंडियन एसोसिएशन की स्थापना किसने की थी?
(अ) बाल गंगाधर तिलक
(ब) सुरेन्द्रनाथ बनर्जी
(स) गोपाल कृष्ण गोखले
(द) मदन मोहन मालवीय
प्रश्न 11. निम्नलिखित में से कौन-सा संगठन भारतीयों द्वारा नहीं, बल्कि अंग्रेजों द्वारा स्थापित किया गया था?
(अ) इंडियन एसोसिएशन
(ब) इंडियन नेशनल कांग्रेस
(स) मुस्लिम लीग
(द) उपयुक्त में से एक से अधिक
प्रश्न 12. थियोसोफिकल सोसायटी का मुख्य उद्देश्य क्या था?
(अ) राजनीतिक सुधार
(ब) धार्मिक एकता
(स) आत्मिक विकास और प्राच्य धर्मों का पुनरुद्धार
(द) भारतीय शिक्षा का प्रचार
प्रश्न 13. इंडियन नेशनल कांग्रेस के किस अधिवेशन में पहली बार ‘स्वराज’ की माँग की गई थी?
(अ) कलकत्ता अधिवेशन 1906
(ब) लखनऊ अधिवेशन 1916
(स) नागपुर अधिवेशन 1920
(द) लाहौर अधिवेशन 1929
प्रश्न 14. गरम दल का प्रमुख नेता कौन था?
(अ) गोपाल कृष्ण गोखले
(ब) दादाभाई नौरोजी
(स) बाल गंगाधर तिलक
(द) महात्मा गांधी
प्रश्न 15. निम्न में से कौन भारतीय राष्ट्रवाद के 'जनक' कहे जाते हैं?
(अ) एनी बेसेंट
(ब) बाल गंगाधर तिलक
(स) दादाभाई नौरोजी
(द) सुरेन्द्रनाथ बनर्जी
✅ उत्तर व व्याख्या (Answers & Explanation):
प्रश्न | उत्तर | व्याख्या |
---|---|---|
1 | (ब) | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना 1885 में हुई थी। |
2 | (स) | इसका पहला अधिवेशन मुंबई (बंबई) में हुआ था। |
3 | (ब) | A.O. ह्यूम ने कांग्रेस की स्थापना में सहायता की थी। |
4 | (ब) | मुस्लिम लीग की स्थापना 1906 में हुई थी। |
5 | (स) | इसकी स्थापना ढाका में हुई थी। |
6 | (ब) | पहले अध्यक्ष आगा खाँ थे। |
7 | (ब) | गोपाल कृष्ण गोखले ने भारत सेवक समाज की स्थापना की थी। |
8 | (स) | पहले अधिवेशन की अध्यक्षता व्योमेश चंद्र बनर्जी ने की थी। |
9 | (ब) | सूरत अधिवेशन 1907 में गरम-नरम दल विभाजन हुआ। |
10 | (ब) | सुरेन्द्रनाथ बनर्जी और आनंद मोहन बोस ने इंडियन एसोसिएशन की स्थापना की। |
11 | (द) | कांग्रेस की स्थापना में A.O. ह्यूम, एक अंग्रेज अधिकारी, शामिल थे। |
12 | (स) | आत्मिक विकास और प्राच्य धर्मों का पुनरुद्धार इसका मुख्य उद्देश्य था। |
13 | (अ) | 1906 कलकत्ता अधिवेशन में पहली बार 'स्वराज' की मांग रखी गई। |
14 | (स) | बाल गंगाधर तिलक गरम दल के नेता थे। |
15 | (स) | दादाभाई नौरोजी को 'भारतीय राष्ट्रवाद का जनक' कहा जाता है। |
📚 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना – 1885
🗓 स्थापना तिथि: 28 दिसम्बर 1885
📍 स्थान: बम्बई (गोकुलदास तेजपाल संस्कृत कॉलेज हॉल)
👥 प्रतिनिधि: 72 प्रतिनिधि भारत के विभिन्न भागों से
🧑🏫 संगठनकर्ता: ए. ओ. ह्यूम (अंग्रेज ICS अधिकारी)
👨⚖️ प्रथम अध्यक्ष: डब्ल्यू. सी. बनर्जी
🔸 राष्ट्रीयता की भावना कैसे विकसित हुई?
1️⃣ राजनीतिक संगठनों का उदय
- 1850 के बाद कई संगठन बने (जैसे – पूना सार्वजनिक सभा, इंडियन एसोसिएशन)
- इनमें शामिल लोगों में "भारत, भारतीयों का है" की सोच विकसित हुई।
2️⃣ औपनिवेशिक आर्थिक शोषण
- भारत से कच्चा माल इंग्लैंड भेजा गया, और तैयार सामान वापस भारत में बेचा गया।
- भारत में भारतीय कपड़ों पर टैक्स, लेकिन इंग्लैंड से आयातित माल पर छूट।
- भारतीयों को ऊँचे पद नहीं मिलते थे, केवल अंग्रेजों को मोटी तनख्वाह।
- किसान अपनी जरूरत के अनुसार नहीं, इंग्लैंड की माँग पर उत्पादन करते थे।
- परिणाम: अकाल, गरीबी, दरिद्रता बढ़ी।
3️⃣ राजनीतिक और प्रशासनिक एकता
- अंग्रेजों ने संपूर्ण भारत में समान प्रशासन, कानून, न्याय व्यवस्था लागू की।
- रेल, तार, डाक, सड़क के माध्यम से लोगों को जोड़ा गया।
- इससे भारतीयों को मिलने और चर्चा करने का अवसर मिला।
4️⃣ अंग्रेजी शिक्षा और विचारधारा
- अंग्रेजों की दी हुई शिक्षा से एक बुद्धिजीवी वर्ग उभरा।
- इन्हें स्वतंत्रता, समानता, भाईचारा जैसे विचार मिले।
- अंग्रेजी भाषा बनी संपर्क माध्यम, जिससे पूरे भारत में विचारों का आदान-प्रदान हुआ।
5️⃣ प्रेस और समाचार पत्रों की भूमिका
इंडियन मिरर, केसरी, अमृत बाजार पत्रिका, बंगाली, हिंदू, मराठी आदि पत्रों ने
अंग्रेजों की शोषणकारी नीतियाँ उजागर कीं।
जनमत तैयार किया और राजनीतिक चेतना फैलाई।
वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट (1878): --> लॉर्ड लिटन (वायसराय)
- देशी भाषा के अखबारों पर कड़ा नियंत्रण लगाया गया।
6️⃣ भारतीय संस्कृति और गौरव की पुनः खोज
मैक्समूलर, विलियम जोन्स जैसे यूरोपीय विद्वानों ने
- वेदों, उपनिषदों और भारतीय परंपराओं का अध्ययन किया।
- भारतीयों में आत्मविश्वास बढ़ा।
7️⃣ प्रशासनिक अन्याय और भेदभाव
- ICS की परीक्षा की आयु 21 से घटाकर 19 की गई – ताकि भारतीय हिस्सा न ले सकें।
- शस्त्र अधिनियम – भारतीयों को शस्त्र रखने से रोका गया।
- इलबर्ट बिल विवाद (1883):
- भारतीय जजों को भी यूरोपीय मामलों की सुनवाई का अधिकार मिला।
- यूरोपीयों ने विरोध किया → सरकार ने बिल वापस लिया।
- इससे भारतीयों में न्याय की असमानता का अहसास हुआ।
🔸 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना क्यों हुई?
ऊपर बताए गए सभी कारणों (आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक) से
- लोगों में एक राष्ट्रीय मंच की ज़रूरत महसूस हुई।
- फलस्वरूप, 1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना हुई।
🔸 प्रमुख प्रारंभिक नेता
नेता का नाम | विशेषता |
---|---|
दादाभाई नौरोजी | गरीबी और शोषण का अध्ययन किया |
फिरोजशाह मेहता | संवैधानिक सुधारों के पक्षधर |
बदरुद्दीन तैयबजी | पहले मुस्लिम अध्यक्ष |
डब्ल्यू. सी. बनर्जी | पहले अध्यक्ष (1885) |
आर. सी. दत्त | आर्थिक शोषण के आलोचक |
सुरेन्द्रनाथ बनर्जी | बाद में जुड़े, प्रभावशाली वक्ता |
📝 निष्कर्ष (Conclusion)
- 1885 में कांग्रेस की स्थापना राष्ट्रवाद की शुरुआत का प्रतीक थी।
- इसका उद्देश्य था –
- अंग्रेजी शासन की नीतियों का विरोध करना,
- भारतीयों की माँगों को संगठित रूप से रखना,
- और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में पहला कदम उठाना।
नीचे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना (1885) और उससे जुड़ी पृष्ठभूमि पर आधारित Mock Test – 10 प्रश्न, BPSC TRE 4 लेवल के अनुसार तैयार किया गया है। प्रत्येक प्रश्न के अंत में उत्तर और संक्षिप्त व्याख्या दी गई है।
🎯 Mock Test: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना – 1885
📝 प्रश्न 1. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना कब हुई थी?
(अ) 1857
(ब) 1875
(स) 1885
(द) 1905
📝 प्रश्न 2. कांग्रेस का पहला अधिवेशन कहाँ हुआ था?
(अ) दिल्ली
(ब) बम्बई
(स) कलकत्ता
(द) नागपुर
📝 प्रश्न 3. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रथम अध्यक्ष कौन थे?
(अ) दादाभाई नौरोजी
(ब) सुरेन्द्रनाथ बनर्जी
(स) डब्ल्यू. सी. बनर्जी
(द) बदरुद्दीन तैयबजी
📝 प्रश्न 4. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना में किस अंग्रेज अधिकारी की प्रमुख भूमिका थी?
(अ) लॉर्ड कर्ज़न
(ब) लॉर्ड रिपन
(स) ए. ओ. ह्यूम
(द) जॉन लारेंस
📝 प्रश्न 5. कांग्रेस की स्थापना से पहले कौन-से संगठन भारत में सक्रिय थे?
(अ) पूना सार्वजनिक सभा
(ब) इंडियन एसोसिएशन
(स) मद्रास महासभा
(द) उपर्युक्त सभी
📝 प्रश्न 6. ‘वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट’ किस वर्ष लागू हुआ था?
(अ) 1878
(ब) 1883
(स) 1885
(द) 1890
📝 प्रश्न 7. इलबर्ट बिल विवाद किससे संबंधित था?
(अ) अंग्रेजों के लिए कर
(ब) भारतीयों को शस्त्र रखने का अधिकार
(स) भारतीय जजों को यूरोपीयों पर मुकदमा चलाने का अधिकार
(द) प्रेस की स्वतंत्रता
📝 प्रश्न 8. किस नेता को “भारतीय राष्ट्रवाद का जनक” कहा जाता है?
(अ) बाल गंगाधर तिलक
(ब) दादाभाई नौरोजी
(स) गोपाल कृष्ण गोखले
(द) एनी बेसेंट
📝 प्रश्न 9. भारतीयों को ICS परीक्षा से रोकने के लिए आयु सीमा घटाकर कितनी कर दी गई?
(अ) 23 वर्ष
(ब) 21 वर्ष
(स) 19 वर्ष
(द) 25 वर्ष
📝 प्रश्न 10. कांग्रेस की स्थापना का प्रमुख उद्देश्य क्या था?
(अ) भारत को स्वतंत्र कराना
(ब) अंग्रेजों को देश से बाहर निकालना
(स) भारतीयों की समस्याएँ ब्रिटिश सरकार के सामने रखना
(द) सैन्य क्रांति करना
✅ उत्तर एवं व्याख्या (Answers with Explanation):
प्रश्न | उत्तर | व्याख्या |
---|---|---|
1 | (स) 1885 | कांग्रेस की स्थापना 28 दिसम्बर 1885 को हुई थी। |
2 | (ब) बम्बई | कांग्रेस का पहला अधिवेशन बम्बई में हुआ था। |
3 | (स) डब्ल्यू. सी. बनर्जी | कांग्रेस के पहले अध्यक्ष डब्ल्यू. सी. बनर्जी थे। |
4 | (स) ए. ओ. ह्यूम | एक अंग्रेज ICS अधिकारी ए. ओ. ह्यूम ने इसकी स्थापना में मदद की। |
5 | (द) उपर्युक्त सभी | कांग्रेस से पहले पूना सार्वजनिक सभा, इंडियन एसोसिएशन आदि सक्रिय थे। |
6 | (अ) 1878 | वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट 1878 में आया, जिससे प्रेस पर प्रतिबंध लगे। |
7 | (स) | इलबर्ट बिल विवाद भारतीय जजों को यूरोपीयों पर मुकदमा चलाने के अधिकार से जुड़ा था। |
8 | (ब) | दादाभाई नौरोजी को “भारतीय राष्ट्रवाद का जनक” कहा जाता है। |
9 | (स) | भारतीयों को हतोत्साहित करने के लिए ICS की उम्र सीमा 19 वर्ष कर दी गई थी। |
10 | (स) | कांग्रेस का उद्देश्य भारतीयों की समस्याएँ सरकार तक पहुँचाना था, शुरू में सुधारवादी रुख था। |
📘 कांग्रेस के शुरुआती दिन (1885–1905)
🎯 मुख्य उद्देश्य:
👉 भारत में राष्ट्रीय चेतना फैलाना,
👉 धर्म, जाति, भाषा से ऊपर उठकर एक राष्ट्र की भावना को मजबूत करना।
🔹 1️⃣ भारत को 'राष्ट्र' के रूप में देखने की सोच
- अंग्रेज भारत को केवल एक भौगोलिक क्षेत्र मानते थे,
- जहाँ लोग विभिन्न जाति, धर्म और भाषा से जुड़े हुए थे।
- कांग्रेस नेताओं (सुरेन्द्रनाथ बनर्जी, गोखले, तिलक) ने इसे "बनता हुआ राष्ट्र" कहा।
🔹 2️⃣ कांग्रेस की एकता बनाए रखने की रणनीति
- कांग्रेस के अधिवेशन हर साल देश के अलग-अलग हिस्सों में किए गए।
- यह नियम बनाया गया कि
- जिस क्षेत्र में अधिवेशन हो, अध्यक्ष उस क्षेत्र से न हो।
- इससे राष्ट्रीय एकता की भावना मजबूत हुई।
🔹 3️⃣ अल्पसंख्यकों का सम्मान
- कांग्रेस ने तय किया कि
- किसी भी प्रस्ताव को पारित करते समय अल्पसंख्यकों के विचारों को ध्यान में रखा जाएगा।
- कॉन्सिल में प्रतिनिधित्व उनकी आबादी के अनुपात में होगा।
🔹 4️⃣ धर्मनिरपेक्षता की भावना
- कांग्रेस शुरुआत से ही धर्मनिरपेक्ष थी।
- नेताओं का उद्देश्य था कि
- धर्म, जाति, वर्ग से ऊपर उठकर सभी मिलकर देश के लिए काम करें।
- गोपाल कृष्ण गोखले का कथन: "ज्यादा से ज्यादा लोगों में राष्ट्रीय चेतना जगाएँ।"
🔹 5️⃣ बिहार का योगदान (प्रारंभिक वर्षों में)
- 1885 (प्रथम अधिवेशन) में बिहार से कोई प्रतिनिधि नहीं था।
- 1886 (द्वितीय अधिवेशन) में
- दरभंगा महाराज लक्ष्मेश्वर सिंह ने ₹2500 का सहयोग दिया।
- हथुआ और डुमराँव के महाराजों ने भी सहयोग किया।
- प्रतिनिधि: शालीग्राम सिंह, विशेश्वर सिंह (BN कॉलेज के नाम पर)
- वकील: पूर्णेन्दु नारायण सिन्हा, गजाधर प्रसाद
🔹 6️⃣ जनांदोलन नहीं, लेकिन वैचारिक लड़ाई
- उस समय जनांदोलन चलाना संभव नहीं था।
- इसलिए कांग्रेस ने
- मध्यमवर्गीय शिक्षित लोगों से संपर्क शुरू किया।
- जनता में राजनीतिक चेतना और सोच विकसित की।
- दादाभाई नौरोजी का कथन: "हम एक राजनीतिक संगठन के रूप में एकत्र हुए हैं..."
🔹 7️⃣ कांग्रेस का उद्देश्य – भाईचारा और एकता
-
डब्ल्यू.सी. बनर्जी का कथन: "हमारा उद्देश्य है – जाति, वर्ग और क्षेत्रीय भेदभाव मिटाकर, देश के लिए काम करने वालों में भाईचारा और दोस्ती को बढ़ावा देना।"
🔹 8️⃣ उपनिवेशवाद के विरुद्ध वैचारिक संघर्ष
कांग्रेस ने लोगों को बताया कि
- ---------> ➤"हम एक राष्ट्र हैं"
- ---------> ➤ और "ब्रिटिश उपनिवेशवाद हमारा मुख्य शत्रु है"
- कोई बड़ा आंदोलन तो नहीं हुआ,
- लेकिन वैचारिक जागरूकता का कार्य शुरू हुआ।
📌 निष्कर्ष (Conclusion)
कांग्रेस ने शुरुआती वर्षों में
- ---------> ➤ भारत में लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष आंदोलन की नींव रखी।
- जनता को राजनीतिक रूप से शिक्षित किया।
- और आंदोलन के लिए मजबूत आधार तैयार किया।
📘 स्वराज की चाहत (19वीं सदी के अंतिम दशक में)
🕒 समयकाल
- 19वीं सदी का अंतिम दशक (लगभग 1890 के बाद)
- कांग्रेस के कई नेता ब्रिटिश सरकार के प्रति नरम रवैये से असंतुष्ट होने लगे।
🔹 1️⃣ कांग्रेस की नीतियों से असहमति
- कांग्रेस शुरू में प्रार्थना और निवेदन की नीति पर चल रही थी।
- लेकिन कुछ नेताओं को यह नीति कमज़ोर और प्रभावहीन लगने लगी।
- इन नेताओं का कहना था कि सिर्फ विनती करने से स्वतंत्रता नहीं मिलेगी।
🔹 2️⃣ उग्र राष्ट्रवाद के प्रमुख नेता
क्षेत्र | नेता का नाम |
---|---|
बंगाल | बिपिन चन्द्र पाल |
पंजाब | लाला लाजपत राय |
महाराष्ट्र | बाल गंगाधर तिलक |
इन तीनों को मिलाकर कहा जाता है – लाल-बाल-पाल
🔹 3️⃣ इन नेताओं की सोच और रणनीति
- अंग्रेजों की न्यायप्रियता और भलाई पर भरोसा नहीं था।
उन्होंने कहा कि हमें:
- संगठन को मजबूत और शक्तिशाली बनाना होगा।
- लोगों को गाँव-गाँव जाकर जागरूक और संगठित करना होगा।
- स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग और प्रचार करना चाहिए।
- आत्मनिर्भरता और रचनात्मक कार्यों को अपनाना चाहिए।
🔹 4️⃣ बाल गंगाधर तिलक का प्रसिद्ध नारा
🗣️ "स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूँगा।"
👉 इस नारे ने भारतीयों में स्वतंत्रता की भावना को और मजबूत किया।
🔹 5️⃣ मुख्य उद्देश्य
स्वराज (स्वशासन) की प्राप्ति के लिए
- ---------> ➤ केवल विनती या याचना नहीं,
- ---------> ➤ बल्कि सशक्त और संगठित आंदोलन की ज़रूरत महसूस की गई।
📌 निष्कर्ष (Conclusion)
- 19वीं सदी के अंत में कांग्रेस के भीतर ही एक नया विचारधारा उभरा,
- जो नरमपंथी (moderate) नीति के विरुद्ध था।
- इस विचारधारा ने आगे चलकर भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को नया मोड़ दिया।
- इसी दौर में स्वराज और स्वदेशी आंदोलन का बीज बोया गया।
📘 बंग-भंग और स्वदेशी आंदोलन (1905)
🔹 1️⃣ बंगाल विभाजन का आदेश (1905)
- वाइसराय लार्ड कर्जन ने 1905 में बंगाल के विभाजन का आदेश दिया।
- उस समय बंगाल में शामिल थे:
- 👉 बांग्लादेश, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, उड़ीसा।
- अंग्रेजों का तर्क: प्रशासनिक सुविधा के लिए विभाजन ज़रूरी है।
- असल उद्देश्य:
- हिन्दू-मुस्लिमों में फूट डालना।
- कांग्रेस और राष्ट्रीय आंदोलन को कमज़ोर करना।
- बंगाल की एकता को तोड़ना।
🔹 2️⃣ विभाजन का तरीका
- मुस्लिम बहुल पूर्वी बंगाल (बांग्लादेश) को अलग किया गया।
- हिन्दू बहुल पश्चिम बंगाल में बिहार, उड़ीसा, झारखंड जैसे अलग जातीय/भाषायी क्षेत्र भी जोड़ दिए गए।
- बंगला भाषियों को दो भागों में बांट दिया गया।
🔹 3️⃣ राष्ट्रवादियों की प्रतिक्रिया
- कांग्रेस और राष्ट्रवादियों ने कर्जन के फैसले का जबरदस्त विरोध किया।
- 16 अक्टूबर 1905 को विभाजन लागू हुआ,
- 👉 उस दिन "शोक दिवस" मनाया गया।
🙌 विरोध के रूप
- उपवास, वंदे मातरम् के नारे,
- विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार,
- स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग।
- छात्र: स्कूल–कॉलेज का बहिष्कार।
- वकील: न्यायालयों का बहिष्कार।
- महिलाओं ने भी आंदोलन में हिस्सा लिया।
🔹 4️⃣ आंदोलन का फैलाव
- बंगाल के बाहर भी आंदोलन फैलाया गया।
- तिलक (महाराष्ट्र) और लाला लाजपत राय (पंजाब) ने नेतृत्व किया।
🔹 5️⃣ ब्रिटिश सरकार की प्रतिक्रिया – दमन
- जनसभाओं पर प्रतिबंध लगाए गए।
- अखबारों पर जुर्माना।
- नेताओं की गिरफ्तारी हुई।
- बाल गंगाधर तिलक को राजद्रोह के आरोप में 6 साल की जेल हुई।
👉 आंदोलन धीरे-धीरे कमजोर पड़ा, लेकिन युवाओं में गुस्सा बना रहा।
👉 कुछ युवाओं ने हिंसात्मक रास्ता अपनाकर अफसरों की हत्या तक की।
🕌 सांप्रदायिकता का बीजारोपण
🔹 6️⃣ मुस्लिम लीग का गठन (1906)
- अंग्रेजों ने ढाका में मुसलमान जमींदारों की मदद से
- 👉 "ऑल इंडिया मुस्लिम लीग" बनवाई।
- लीग ने बंगाल विभाजन को जायज़ बताया।
- लीग ने मुसलमानों के लिए अलग निर्वाचन मंडल की मांग की,
- 👉 जिसे 1909 के कानून (मॉर्ले–मिंटो सुधार) में मान लिया गया।
🔹 7️⃣ हिन्दू सभा और आगे का असर
- पंजाब में "हिन्दू सभा" बनी,
- 👉 1915 में यह हिन्दू महासभा बन गई।
- मुस्लिम लीग और हिन्दू महासभा, दोनों
- 👉 सांप्रदायिक (communal) विचारधारा के दल बन गए।
- इससे राष्ट्रीय आंदोलन में फूट और कमज़ोरी आने लगी।
📌 निष्कर्ष (Conclusion)
- बंगाल विभाजन ने देश में राजनीतिक चेतना को बढ़ाया।
- स्वदेशी आंदोलन ने जनता को स्वराज, स्वदेशी और आत्मनिर्भरता का महत्व सिखाया।
- लेकिन अंग्रेजों की "फूट डालो और राज करो" नीति ने
- 👉 भारत में सांप्रदायिक राजनीति की शुरुआत कर दी।
🔥 अतिवादी क्रांतिकारी आंदोलन (1905 के बाद)
🔹 1️⃣ अतिवादी क्रांतिकारियों की सोच
- ब्रिटिश राज से नाराज़ युवाओं में उग्र विचारधारा पनपने लगी।
- ये युवा नेता अब हिंसा को भी जायज़ मानने लगे थे।
- इनका लक्ष्य था –
- 👉 अंग्रेज़ अफसरों को सबक सिखाना
- 👉 जनता में डर की जगह क्रांतिक चेतना जगाना
🧨 2️⃣ खुदीराम बोस – क्रांतिकारी नायक
- खुदीराम बोस को माना जाता है: 👉 बम प्रयोग करने वाले पहले क्रांतिकारी।
- पहले क्रांतिकारी सिर्फ पिस्तौल का उपयोग करते थे।
🎯 लक्ष्य:
- मुजफ्फरपुर के जज किंग्सफोर्ड की हत्या करना, क्योंकि वह आंदोलनकारियों को सख़्त सजा देता था।
🔹 3️⃣ बम कांड (30 अप्रैल 1908)
- खुदीराम बोस और प्रफुल्ल चाकी ने
- 👉 प्रिंगले केनेडी की बग्घी पर बम फेंका – गलती से।
- बग्घी में किंग्सफोर्ड नहीं था।
- केनेडी की बेटी मौके पर और उसकी पत्नी अस्पताल में मारी गई।
🔹 4️⃣ गिरफ्तारी और फांसी
- खुदीराम बोस रातों-रात मीलों पैदल चलकर
- 👉 बैनी स्टेशन पहुँचे।
- लोगों की बातों में खुद बोल पड़े – “क्या किंग्सफोर्ड नहीं मरा?”
- 11 अगस्त 1908 को खुदीराम को फांसी दे दी गई।
- 👉 वे सिर्फ 18 साल के थे।
📰 5️⃣ तिलक की टिप्पणी – केसरी (22 जून 1908)
- तिलक ने "केसरी" में लिखा कि
- 👉 यह घटना राजनैतिक चेतना का नया अध्याय है।
- उन्होंने 1897 की चापेकर बंधुओं की घटना को
- 👉 अधिक सफल माना, लेकिन दोनों घटनाओं की भावना राष्ट्रहित की थी।
- चापेकर ने प्लेग अफसर रैंड की हत्या की थी।
⚖️ 6️⃣ दोनों घटनाओं में अंतर
🔍 बिंदु | पूना की घटना (1897) | मुजफ्फरपुर की घटना (1908) |
---|---|---|
🎯 उद्देश्य | प्लेग अफसर के अत्याचार के खिलाफ | बंगाल विभाजन के विरोध में |
🧠 दृष्टिकोण | स्थानीय समस्या | राष्ट्रव्यापी दृष्टिकोण |
🔫 तरीका | पिस्तौल | बम का इस्तेमाल |
🤝 नायक | चापेकर बंधु | खुदीराम बोस, प्रफुल्ल चाकी |
📌 7️⃣ मुजफ्फरपुर बमकांड का असर
- जनता में नए तरह की क्रांतिक चेतना आई।
- बंगाल विभाजन का विरोध और मजबूत हुआ।
- युवाओं को साहस और बलिदान की प्रेरणा मिली।
🧩 8️⃣ अन्य ज़रूरी परिभाषाएँ
🔹 पृथक निर्वाचक मंडल (Separate Electorate)
एक ऐसी व्यवस्था जिसमें किसी धर्म या जाति के लोग
👉 सिर्फ अपने धर्म/जाति के उम्मीदवारों को ही वोट दे सकते हैं।
🔹 सांप्रदायिकता (Communalism)
किसी धर्म या सम्प्रदाय द्वारा
👉 धार्मिक भावनाओं का राजनीतिक स्वार्थ में इस्तेमाल करना।
✅ निष्कर्ष
- खुदीराम बोस जैसे युवाओं ने आज़ादी की लड़ाई को
- ---------> ➤ 👉 नए तेवर और जोश से भर दिया।
- अतिवादी क्रांतिकारियों ने यह साबित किया कि
- ---------> ➤ 👉 ब्रिटिश राज के खिलाफ हिंसात्मक विरोध की लहर भी उठ चुकी थी।
- इनकी कुर्बानी ने अगली पीढ़ी के आंदोलनकारियों को
- ---------> ➤ 👉 साहस, प्रेरणा और राष्ट्रभक्ति दी।
🇮🇳 गांधी जी का भारत में आगमन और प्रारंभिक आंदोलन
🔹 1️⃣ गांधी जी का भारत आगमन
- गांधी जी 1915 में दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे।
- अफ्रीका में उन्होंने:
- 👉 अहिंसक सत्याग्रह से नस्लभेद के खिलाफ आंदोलन किया।
- 👉 इससे भारत में उनकी लोकप्रियता बढ़ गई।
- भारत आकर उन्होंने पहले:
- 👉 देशभर का दौरा किया और
- 👉 साबरमती आश्रम (अहमदाबाद) की स्थापना की।
🔹 2️⃣ गांधी जी और होमरूल आंदोलन
- उस समय भारत में होमरूल आंदोलन चल रहा था।
- गांधी जी इसमें शामिल नहीं हुए क्योंकि:
- 👉 वे मानते थे –
- “अंग्रेज़ों की परेशानी को अवसर बनाना नैतिक नहीं।”
- गांधी जी न तो उग्रपंथी थे, न ही नरमपंथी –
- 👉 वे केवल सत्याग्रह में विश्वास करते थे।
🚩 3️⃣ भारत में गांधी जी का पहला सत्याग्रह – चंपारण आंदोलन (1917)
📍 पृष्ठभूमि:
- चंपारण (बिहार) के किसानों पर अंग्रेज बगान मालिक:
- 👉 जबरन नील की खेती कराते थे – इसे कहते थे "तीन कठिया प्रणाली" (3/20 हिस्सा)।
- जब नील की मांग कम हो गई, तो किसान खेती नहीं करना चाहते थे।
- लेकिन अंग्रेज जमींदार किसानों से जबरन वसूली करते रहे।
👣 गांधी जी का चंपारण आगमन:
- राजकुमार शुक्ल को गणेश कुमार विद्यार्थी ने कहा था कि गांधी जी को चंपारण आने का आहवान कीजिए
- राजकुमार शुक्ल ने लखनऊ कांग्रेस अधिवेशन में गांधी जी को बुलाया।
- गांधी जी जब चंपारण पहुँचे, तो कमिश्नर ने उन्हें लौटने का आदेश दिया।
- गांधी जी ने साफ कहा –
- 👉 “मैं नहीं जाऊँगा, सजा स्वीकार करूंगा।”
- सरकार दबाव में आकर पीछे हट गई और उन्हें किसानों से मिलने की अनुमति दे दी।
👥 सहयोगी:
- गांधी जी के साथ थे: 👉 राजेन्द्र प्रसाद, ब्रजकिशोर प्रसाद, महादेव देसाई, जे.बी. कृपलानी आदि।
📋 आंदोलन की सफलता:
- किसानों की समस्याएँ जानकर गांधी जी ने रिपोर्ट बनाई।
- सरकार ने एक जांच समिति बनाई – गांधी जी को भी सदस्य बनाया।
- गांधी जी के सुझाव पर:
- 👉 तीन कठिया प्रथा खत्म हुई।
- 👉 बगान मालिकों ने 25% वसूली लौटाई।
- गांधी जी को लगा – ये नैतिक जीत है, इसलिए मान गए।
- 10 वर्षों में अंग्रेज बगान मालिक चंपारण छोड़ गए।
🏭 4️⃣ अहमदाबाद मिल मजदूर आंदोलन (1918)
📍 कारण:
- मजदूर वेतन बढ़ाने की मांग कर रहे थे (महंगाई के कारण)।
- मिल मालिकों ने मना कर दिया।
🙏 गांधी जी का समाधान:
- गांधी जी ने मजदूरों से कहा – 👉 अहिंसक हड़ताल करो।
- लेकिन मजदूर भुखे रहकर लंबे समय तक नहीं टिक पाए।
- गांधी जी ने स्वयं भूख हड़ताल शुरू कर दी।
- मिल मालिक डर गए और मजदूरों की वेतनवृद्धि मान ली।
🌾 5️⃣ खेड़ा आंदोलन (1918)
- गुजरात के खेड़ा जिले में किसान: 👉 अकाल के कारण कर माफ़ी चाहते थे।
- अंग्रेज सरकार ने इनकार कर दिया।
- गांधी जी के नेतृत्व में किसानों ने: 👉 कर देने से मना कर दिया।
- अंततः सरकार को झुकना पड़ा और कर माफ किया गया।
🕊️ 6️⃣ गांधी जी और सत्याग्रह का सिद्धांत
✍️ सत्याग्रह का अर्थ:
“सत्य + आग्रह” = सत्य के लिए अहिंसक आग्रह।
- गांधी जी ने राष्ट्रवादियों को शांतिपूर्ण हथियार दिए: 👉 हड़ताल, उपवास, असहयोग जैसे उपाय।
📩 7️⃣ गांधी जी का पत्र (6 अप्रैल 1917, मोतिहारी)
“मैं चंपारण नहीं छोड़ूंगा, जो सजा देना है दो –
👉 पर जनता के हित में पीछे नहीं हटूंगा।”
✅ निष्कर्ष
- गांधी जी ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को:
- 👉 नई दिशा,
- 👉 नैतिक आधार,
- 👉 और जनता की व्यापक भागीदारी दिलाई।
चंपारण आंदोलन से उन्होंने दिखाया कि
👉 सत्य और अहिंसा से भी अंग्रेजों को झुकाया जा सकता है।
🟡 रॉलेट सत्याग्रह (1919) — आसान बिंदुवार नोट्स
🔶 पृष्ठभूमि:
- गांधी जी ने राष्ट्रीय आंदोलन में चंपारण, खेड़ा और अहमदाबाद आंदोलनों से सत्याग्रह का संदेश दिया।
- प्रथम विश्व युद्ध (1914-18) के बाद भारत में असंतोष और असुरक्षा का माहौल था।
🔶 रॉलेट ऐक्ट (Rowlatt Act), 1919:
- अंग्रेज सरकार ने मार्च 1919 में यह कानून बनाया।
- इसे काला कानून भी कहा गया।
- मुख्य प्रावधान:
- ➤ किसी भी व्यक्ति को सिर्फ संदेह के आधार पर
- ➤ बिना मुकदमा या सुनवाई के
- ➤ अनिश्चित समय तक जेल में रखा जा सकता था।
🔶 गांधी जी की प्रतिक्रिया:
- गांधी जी ने इस कानून के विरोध में
- ➤ 6 अप्रैल 1919 को
- ➤ 'राष्ट्रीय अपमान दिवस' (National Humiliation Day) मनाने का आह्वान किया।
- पूरे देश में विरोध प्रदर्शन हुए और जनता सड़कों पर उतर आई।
🔶 पंजाब में आंदोलन:
- पंजाब में दो नेता - सैफुद्दीन किचलू और डॉ. सत्यपाल को गिरफ्तार कर लिया गया।
- जनता ने इसके विरोध में
- ➤ 13 अप्रैल 1919 (वैशाखी के दिन)
- ➤ अमृतसर के जलियाँवाला बाग में शांतिपूर्वक सभा की।
🔴 जलियाँवाला बाग हत्याकांड:
- सभा के दौरान ब्रिटिश जनरल डायर ने
- ➤ बिना कोई चेतावनी दिए
- ➤ भीड़ पर गोलियाँ चलवा दीं।
- सैकड़ों लोग मारे गए और हजारों घायल हुए।
🔶 परिणाम:
- पूरे देश में गुस्सा और आक्रोश फैल गया।
- गांधी जी और जनता ने अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन तेज कर दिया।
- रॉलेट सत्याग्रह से गांधी जी देशव्यापी नेता के रूप में उभरे।
✅ निष्कर्ष:
- रॉलेट सत्याग्रह भारत में ब्रिटिश दमन के खिलाफ पहला राष्ट्रव्यापी आंदोलन था।
- इसने लोगों को अंग्रेजों के असली चेहरे से अवगत कराया।
- यह घटना गांधी युग की शुरुआत मानी जाती है।
खिलाफत और असहयोग आंदोलन (1919–1922)
🕌 खिलाफत आंदोलन क्यों शुरू हुआ?
- प्रथम विश्व युद्ध में तुर्की की हार हुई।
- तुर्की के खलीफा (मुसलमानों का धार्मिक नेता) को हटा दिया गया।
- भारतीय मुसलमान चाहते थे कि खलीफा का अधिकार इस्लामी पवित्र स्थलों पर बना रहे।
- ब्रिटिश सरकार ने मुसलमानों से जो वादा किया था, उसे तोड़ दिया गया।
👬 खिलाफत आंदोलन की शुरुआत:
- भारतीय मुसलमानों ने मुहम्मद अली और शौकत अली के नेतृत्व में आंदोलन शुरू किया।
- इस आंदोलन का उद्देश्य था — ब्रिटिश सरकार पर दबाव डालना ताकि खलीफा को पुनः पद दिलाया जा सके।
🤝 हिंदू-मुस्लिम एकता का अवसर:
- गांधी जी ने इसे हिंदू-मुस्लिम एकता का मौका समझा।
- उन्होंने जलियाँवाला बाग हत्याकांड और खिलाफत के अन्याय के विरोध में असहयोग आंदोलन की घोषणा की।
📅 असहयोग आंदोलन की शुरुआत:
- अगस्त 1920 में गांधी जी के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन शुरू हुआ।
असहयोग आंदोलन के प्रमुख कार्य:
🎓 1. सरकारी पदों और उपाधियों का त्याग: गांधी जी ने ‘कैसर-ए-हिंद’ और टैगोर ने ‘नाइटहुड’ की उपाधियाँ त्याग दीं।
⚖️ 2. वकालत छोड़ना:
- गांधी जी ने वकीलों से अदालत छोड़ने की अपील की।
प्रमुख वकीलों ने वकालत छोड़ी:
- मोतीलाल नेहरू
- सी. आर. दास
- राजगोपालाचारी
- आसफ अली
🏫 3. विद्यार्थियों द्वारा बहिष्कार:
- विद्यार्थियों ने सरकारी स्कूल-कॉलेज छोड़ दिए।
🧵 4. विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार:
- विदेशी कपड़ों की होली जलाई गई।
- इंग्लैंड से आयातित वस्त्रों की बिक्री में भारी गिरावट आई।
✊ आंदोलन का असर:
- पूरे देश में लोग आंदोलित हो उठे।
- आंदोलन ने ब्रिटिश सरकार की नींव हिला दी।
- भारत में स्वराज की भावना मजबूत हुई।
🧠 महत्वपूर्ण व्यक्तित्व:
नाम | योगदान |
---|---|
गांधी जी | आंदोलन के मुख्य नेता |
मुहम्मद अली | खिलाफत आंदोलन के नेता |
शौकत अली | मुहम्मद अली के साथ मिलकर नेतृत्व किया |
रवींद्रनाथ टैगोर | नाइट की उपाधि लौटाई |
मोतीलाल नेहरू, सी.आर. दास आदि | वकालत छोड़कर आंदोलन का समर्थन किया |
जनभागीदारी (असहयोग आंदोलन में लोगों की भागीदारी)
🔸 गांधी जी के विचारों का स्थानीय मुद्दों से जुड़ाव:
- देशभर में गांधी जी के विचारों को स्थानीय संघर्षों से जोड़ा गया।
- लोगों ने अपने-अपने क्षेत्रीय मुद्दों पर आंदोलन चलाए।
🔸 प्रमुख क्षेत्रीय आंदोलनों:
- खेड़ा (गुजरात): ➤ किसानों ने अंग्रेजों द्वारा लगाए गए अधिक लगान (टैक्स) के खिलाफ आंदोलन किया।
- तमिलनाडु: ➤ लोगों ने शराब की दुकानों की घेराबंदी की।
- आंध्रप्रदेश:➤ वन सत्याग्रह चलाया गया (जंगलों के अधिकारों को लेकर)।
- पंजाब: ➤ अकालियों ने गुरुद्वारों से भ्रष्ट महंतों को हटाने का आंदोलन चलाया।
बिहार में असहयोग आंदोलन:
🔹 महत्वपूर्ण नेता और संस्थाएं:
- ब्रजकिशोर प्रसाद: ➤ स्वराज के मुद्दे को असहयोग आंदोलन से जोड़ा।
- मजहरुल हक:
- ➤ खैरू मियाँ की जमीन पर बिहार विद्यापीठ और सदाकत आश्रम की स्थापना की।
- ➤ दि मदरलैंड नामक अखबार निकाला – उद्देश्य:
- ▪ असहयोग आंदोलन का प्रचार
- ▪ हिन्दू-मुस्लिम एकता को बढ़ावा देना
महिलाओं की भागीदारी:
-
आंदोलन में महिलाओं ने भी सक्रिय रूप से भाग लिया (📷 चित्र 14 में दर्शाया गया है)।
प्रतिक्रिया और चरम बिंदु:
- 22 दिसम्बर 1921:
- ➤ ब्रिटिश युवराज के पटना आगमन पर हड़ताल की गई।
- 5 फरवरी 1922 - चौरी-चौरा कांड:
- ➤ आंदोलनकारियों ने पुलिस थाना (चौरी-चौरा, उत्तर प्रदेश) में आग लगा दी।
- ➤ 22 पुलिसकर्मी मारे गए।
- 6 फरवरी 1922:
- ➤ गांधी जी ने हिंसा के कारण असहयोग आंदोलन समाप्त करने की घोषणा की।
✅ मुख्य बिंदु संक्षेप में:
- गांधी जी के नेतृत्व में स्थानीय संघर्षों का राष्ट्रीय आंदोलन से जुड़ाव।
- पूरे भारत में क्षेत्रीय मुद्दों के आधार पर आंदोलनों की लहर।
- बिहार में विशेष योगदान – विद्यापीठ, आश्रम, अखबार।
- महिलाओं की भी भागीदारी।
- चौरी-चौरा की हिंसा के बाद आंदोलन की समाप्ति।
🟢 झंडा सत्याग्रह (1923)
🔸 सत्याग्रह की शुरुआत:
- 13 अप्रैल 1923 को नागपुर में शुरू हुआ।
- अंग्रेज प्रशासन ने लोगों को झंडा लेकर चलने से रोका।
- कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने इसका विरोध करते हुए सत्याग्रह का निर्णय लिया।
🔸 सरकारी दमन:
- न्यायाधीश की मना करने के बावजूद डी.एस.पी. ने भीड़ पर लाठीचार्ज किया।
- कई लोग गिरफ्तार किए गए।
🔸 जमनालाल बजाज की भूमिका:
- 1 मई 1923: जमनालाल बजाज की कमेटी ने सत्याग्रह को आगे बढ़ाया।
- सत्याग्रह में देशभर के लोगों ने भाग लिया, बिहार के लोग भी शामिल हुए।
🔸 परिणाम:
- आंदोलन 109 दिनों तक चला।
- 1560 सत्याग्रही गिरफ्तार हुए और सजाएँ दी गईं।
- सरकार ने धीरे-धीरे झंडा लेकर चलने की अनुमति दे दी।
🔶 अगली लड़ाई की तैयारी
🟡 असहयोग आंदोलन की समाप्ति के बाद:
- 1922 में असहयोग आंदोलन की समाप्ति के बाद कांग्रेस का अधिवेशन गया (बिहार) में हुआ।
- गांधी जी ने कार्यकर्ताओं को गाँवों में रचनात्मक कार्य करने को कहा।
🟡 स्वराज दल का गठन:
- चितरंजन दास और मोतीलाल नेहरू चुनाव में भाग लेने के पक्षधर थे।
- फरवरी 1923 में स्वराज दल की स्थापना हुई।
- प्रारंभिक बैठक पटना में हुई।
- लेकिन राजेन्द्र प्रसाद के प्रभाव के कारण बिहार में यह दल ज्यादा सफल नहीं हो पाया।
🟥 नए संगठनों का उदय:
🔴 भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI):
- असहयोग आंदोलन के बाद जनता में फैले असंतोष का लाभ उठाकर गठित।
- यह पार्टी सर्वहारा (श्रमिक वर्ग) की प्रतिनिधि बनी।
🔴 राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS):
- एक हिन्दू राष्ट्रवादी संगठन के रूप में उभरा।
- इसका झुकाव हिन्दू विचारधारा और राष्ट्रवाद की ओर था।
🔴 हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी (HSRA):
- सरदार भगत सिंह और उनके साथियों द्वारा गठित।
- उद्देश्य था: क्रांतिकारी तरीकों से आज़ादी प्राप्त करना।
🟠 पूर्ण स्वराज की घोषणा:
1929 के अंत में लाहौर अधिवेशन में जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में:
- "पूर्ण स्वराज" (Complete Independence) का प्रस्ताव पारित हुआ।
निर्णय लिया गया कि:
26 जनवरी 1930 को स्वतंत्रता दिवस मनाया जाएगा।- यह दिन रावी नदी के तट पर मनाया गया।
✅ संक्षेप में प्रमुख बिंदु:
- झंडा लेकर चलने पर रोक के विरोध में झंडा सत्याग्रह।
- जमनालाल बजाज और बिहार की भागीदारी उल्लेखनीय।
- स्वराज दल बना लेकिन बिहार में सीमित असर।
- CPI और RSS जैसे नए संगठन उभरे।
- भगत सिंह का HSRA सक्रिय हुआ।
- 1930 में पहली बार "स्वतंत्रता दिवस" मनाया गया – पूर्ण स्वराज की घोषणा के साथ।
🔥 भगत सिंह और एचएसआरए के क्रांतिकारी आंदोलन (संक्षेप नोट्स)
🗯️ प्रसिद्ध नारा:
- "बहरों को सुनाने के लिए धमाके की ज़रूरत होती है, इंक़लाब ज़िंदाबाद!" – भगत सिंह
👥 मुख्य क्रांतिकारी नेता:भगत सिंह
- चंद्रशेखर आज़ाद
- सुखदेव
- राजगुरु
- बी.के. दत्त
🏛️ संघठन की स्थापना:
- नाम: हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA)
- स्थापना वर्ष: 1928
- स्थान: दिल्ली, फिरोज़शाह कोटला
- उद्देश्य:
- औपनिवेशिक शासन (ब्रिटिश राज) के खिलाफ लड़ना
- मज़दूरों और किसानों के लिए क्रांति लाना
- शोषणकारी अमीर वर्गों का विरोध करना
🔫 सांडर्स की हत्या:
- तारीख: 17 दिसंबर 1928
क्यों की गई?
सांडर्स ने लाला लाजपत राय पर लाठीचार्ज करवाया था- लाठीचार्ज के कारण लाजपत राय की मृत्यु हुई थी
शहीद:
भगत सिंह , राजगुरु , चंद्रशेखर आज़ाद
💣 केंद्रीय विधान परिषद में बम फेंकना:
- तारीख: 8 अप्रैल 1929
- स्थान: केंद्रीय विधान परिषद (दिल्ली)
- क्रांतिकारी:
- भगत सिंह
- बी.के. दत्त
- मकसद:
- किसी की जान लेना नहीं था
- केवल "बहरों को सुनाना था"
- ब्रिटिश सरकार को उनके शोषण की याद दिलाना
- क्रांति का संदेश फैलाना
⚖️ फांसी:
- क्रांतिकारी: भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु
- तारीख: 23 मार्च 1931
- भगत सिंह की उम्र: केवल 23 वर्ष
📝 मुख्य बातें याद रखें:
- HSRA = समाजवादी क्रांतिकारी संगठन
- नारा = "इंक़लाब ज़िंदाबाद!"
- उद्देश्य = गरीबों-मज़दूरों के लिए न्याय
- तरीका = क्रांतिकारी गतिविधियाँ, मगर उद्देश्य सामाजिक जागरूकता
- बलिदान = फांसी की सजा, युवा उम्र में देश के लिए जान देना
✧ वैकुण्ठ शुक्ल – बिहार के वीर क्रांतिकारी
❖ जन्म व प्रारंभिक जीवन:
- जन्म: 1910, जलालपुर गाँव, मुजफ्फरपुर (अब वैशाली) ज़िला, बिहार
- प्राथमिक शिक्षा: अपने ही गाँव में पूरी की
- पेशा: मथुरापुर गाँव के लोअर प्राइमरी स्कूल में शिक्षक
❖ स्वतंत्रता संग्राम में योगदान:
- वर्ष 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन में हिस्सा लिया
- गिरफ्तार होकर पटना कैंप जेल भेजे गए
- 1931 में रिहा हुए, गांधी-इरविन समझौते के बाद
❖ क्रांतिकारी जीवन:
- रिहाई के बाद जुड़े: हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी (HSRA) से
- उद्देश्य: देशद्रोही मुखबिरों को दंडित करना
- मुखबिर फणीन्द्र नाथ घोष की हत्या में अहम भूमिका निभाई
❖ फणीन्द्र नाथ घोष कौन था?
- निवासी: बेतिया, बिहार
- ब्रिटिश सरकार का मुख्य गवाह
- भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फाँसी दिलवाने में गवाही दी
- लाहौर षड़यंत्र कांड और अन्य मामलों में सरकार के लिए गवाह बना
❖ हत्या की योजना व घटना:
- दिनांक: 9 नवम्बर 1932
- स्थान: मीना बाजार, फणीन्द्र अपनी दुकान के सामने बैठा था
- हमला: वैकुण्ठ शुक्ल और चन्द्रमा सिंह ने धारदार हथियार से हमला किया
- फणीन्द्र की मौत: 17 नवम्बर 1932 को हुई
❖ गिरफ्तारी और सजा:
- भागते समय वैकुण्ठ शुक्ल का झोला गिर गया, जिसमें धोती थी – इससे पहचान हुई
- गिरफ्तारी: 6 जुलाई 1933, सोनपुर-हाजीपुर पुल के पास
- सजा: फाँसी (सत्र न्यायालय और उच्च न्यायालय दोनों ने सजा बरकरार रखी)
- फाँसी की तिथि: 14 मई 1934
- स्थान: गया जेल, बिहार
❖ योगदान का महत्व:
- वैकुण्ठ शुक्ल ने भगत सिंह के हत्यारे की सजा का बदला लिया
- वे बिहार के क्रांतिकारी आंदोलन के प्रतीक बन गए
- उनकी शहादत स्वतंत्रता संग्राम की वीरता और बलिदान की मिसाल है
✧ दांडी मार्च (नमक सत्याग्रह) – 1930
❖ पृष्ठभूमि:
- ब्रिटिश सरकार ने नमक पर टैक्स लगाया और उत्पादन व बिक्री पर एकाधिकार कर लिया।
- हर वर्ग (गरीब-अमीर, महिला-पुरुष) इस कानून से प्रभावित था।
- गांधी जी ने इसे प्राकृतिक अधिकार माना और इसे राष्ट्रीय भावना से जोड़ा।
❖ दांडी यात्रा की शुरुआत:
- 12 मार्च 1930 को गांधी जी 79 साथियों के साथ साबरमती आश्रम से निकले।
- दांडी (समुद्र तट) पहुँचने में 24 दिन लगे।
❖ नमक कानून तोड़ना:
- 6 अप्रैल 1930, गांधी जी ने समुद्र तट से नमक उठाकर और पानी उबालकर नमक बनाकर कानून तोड़ा।
❖ आंदोलन की विशेषताएँ:
- यह आंदोलन देशभर में फैल गया।
- किसानों, महिलाओं और आदिवासियों ने बड़ी संख्या में भाग लिया।
- हजारों सत्याग्रही गिरफ्तार किए गए।
✧ प्रांतीय स्वायत्तता और कांग्रेस सरकार – 1935–1939
❖ ब्रिटिश सरकार की प्रतिक्रिया:
- जनता की ताकत देखकर सरकार ने 1935 का प्रांतीय स्वायत्तता अधिनियम लागू किया।
❖ प्रमुख घटनाएँ:
- 1937 में 11 में से 7 प्रांतों में कांग्रेस की सरकार बनी।
- 1939 में द्वितीय विश्व युद्ध के समय कांग्रेस ने सहयोग के बदले स्वराज की मांग की।
- अंग्रेजों के इंकार पर सभी कांग्रेस सरकारों ने इस्तीफा दे दिया।
✧ भारत छोड़ो आंदोलन – 1942
❖ शुरुआत:
- गांधी जी ने "करो या मरो" का नारा दिया।
- 8 अगस्त 1942, बम्बई के ग्वालिया टैंक मैदान में आंदोलन की घोषणा हुई।
❖ अंग्रेजों की प्रतिक्रिया:
- गांधी जी और कांग्रेस के सभी शीर्ष नेता गिरफ्तार कर लिए गए।
- इसके बाद जनता ने आंदोलन को उग्र रूप में आगे बढ़ाया।
❖ आंदोलन की विशेषताएँ:
- आंदोलन में किसानों, विद्यार्थियों और महिलाओं की बड़ी भागीदारी रही।
- जनता ने स्थानीय सरकारें बना लीं और सत्ता-संचार पर कब्जा कर लिया।
✧ बिहार में आंदोलन की झलकियाँ:
❖ पालीगंज (पटना जिला):
- 14 अगस्त 1942: थाना में जनता ने ताला लगाया।
- 15 अगस्त: दरोगा ने खुद झंडा फहराया और "इंकलाब ज़िंदाबाद" का नारा लगाया।
❖ रामकृत सिंह की शहादत:
- पालीगंज से अरवल जा रहे जत्थे पर पुलिस फायरिंग।
- रामकृत सिंह घायल हुए और अस्पताल में उनकी मृत्यु हो गई।
- उनका अंतिम संस्कार हजारों लोगों की मौजूदगी में सोन नदी के किनारे किया गया।
❖ आंदोलन का प्रभाव:
- 90,000 से ज्यादा लोग गिरफ्तार किए गए।
- हजारों लोग गोलीबारी में शहीद हुए।
- कई जगहों पर हवाई फायरिंग भी हुई।
- अंततः अंग्रेजी सरकार को झुकना पड़ा।
🇮🇳 बिहार में भारत छोड़ो आंदोलन (1942)
❖ आंदोलन की शुरुआत:
- 8 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो प्रस्ताव पास हुआ।
- 9 अगस्त 1942 को डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को पटना के जिलाधिकारी डब्ल्यू. जी. आर्चर ने गिरफ्तार कर लिया।
❖ छात्रों की भागीदारी:
- 11 अगस्त 1942: विद्यार्थियों का जुलूस सचिवालय भवन पहुँचा।
- छात्रों ने विधानमंडल भवन पर राष्ट्रीय झंडा फहराने की कोशिश की।
❖ पुलिस फायरिंग:
- पुलिस ने गोलीबारी की।
- 7 छात्र शहीद हो गए:
- उमाकांत सिंहा
- रामानंद सिंह
- सतीश प्रसाद झा
- देवीपद चौधरी
- राजेन्द्र सिंह
- रामगोविंद सिंह
- जगपति कुमार
❖ शहीद स्मारक:
- स्वतंत्रता के बाद, उसी स्थान पर शहीद स्मारक बनाया गया।
- इसका अनावरण देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने किया।
🪖 आज़ाद हिन्द फौज (INA) और नेताजी सुभाष चन्द्र बोस
❖ नेताजी की योजना:
- 1941 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस जर्मनी होते हुए जापान पहुँचे।
- जुलाई 1943 में उन्होंने आज़ाद हिन्द फौज (INA) को फिर से संगठित किया।
- अगस्त 1943 में नेताजी ने "आज़ाद हिन्द सरकार" की स्थापना की।
❖ सैन्य उपलब्धियाँ:
- नेताजी के नेतृत्व में आज़ाद हिन्द फौज इम्फाल (मणिपुर) तक पहुँच गई।
- लगभग 250 वर्गमील भारतीय क्षेत्र को आज़ाद भी कराया।
❖ हार और आत्मसमर्पण:
- हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिरने के बाद जापान ने आत्मसमर्पण किया।
- इसके साथ ही आज़ाद हिन्द फौज को भी पीछे हटना पड़ा और उन्होंने आत्मसमर्पण कर दिया।
⚖️ INA के अफसरों पर मुकदमा और देशव्यापी प्रतिक्रिया
❖ पहले तीन अफसरों पर मुकदमा:
- शाहनवाज खान, प्रीम सहगल और गुरबख्श सिंह ढिल्लन पर मुकदमा चला।
❖ कांग्रेस और देश का समर्थन:
- इनके बचाव में कई बड़े वकील सामने आए:
- ---------> ➤ भूलाभाई देसाई
- ---------> ➤ डॉ. काटजू
- ---------> ➤ डॉ. तेज बहादुर सप्रु
- ---------> ➤ जवाहरलाल नेहरू
- इन्होंने बिना फीस के मुकदमा लड़ा।
❖ फैसला और रिहाई:
- जजों ने तीनों अफसरों को दोषी मानकर फांसी की सजा सुनाई।
- लेकिन देशभर में भारी जनभावना को देखते हुए अंग्रेजी सरकार उन्हें फांसी नहीं दे पाई।
- तीनों अफसरों को रिहा कर दिया गया, बाद में अन्य सैनिक भी रिहा हुए।
🏛️ जनता राज का लक्ष्य (1942 भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान)
❖ जनता राज की शुरुआत:
- अगस्त क्रांति (1942) के दौरान 80 थानों पर जनता ने कब्जा किया।
- इनमें से 45 थाना क्षेत्रों में जनता ने 1-2 महीनों तक खुद शासन चलाया।
❖ जनता राज की विशेषताएँ:
- गाँव की रक्षा की व्यवस्था की गई।
- आपसी झगड़ों का निपटारा किया गया।
- मुकदमेबाज़ी रोकी गई।
- गरीबों और भूखों के लिए भोजन का इंतज़ाम किया गया।
❖ जनता राज का उद्देश्य:
- जनता को संतुष्ट और सक्षम बनाना।
- क्रांति की साधना करना यानी स्वतंत्रता की दिशा में काम करना।
🇮🇳 स्वतंत्रता और विभाजन की कहानी
❖ अंग्रेजों की "फूट डालो और राज करो" नीति:
- अंग्रेजों ने मुस्लिम लीग की हर माँग माननी शुरू कर दी जिससे हिन्दू-मुस्लिम में दूरी बढ़े।
- अल्पसंख्यकों के लिए अलग चुनाव मंडल बनाए गए।
❖ मुस्लिम लीग की बढ़ती ताकत:
- शुरू में मुस्लिम लीग मजबूत नहीं थी।
- लेकिन कांग्रेस की विफलता ने लीग को मुसलमानों का मुख्य प्रतिनिधि बना दिया।
❖ "दो राष्ट्र सिद्धांत" और पाकिस्तान की माँग:
- 1930 के दशक में लीग ने दो राष्ट्र सिद्धांत को स्वीकार किया।
- 1940 में मुस्लिम लीग ने मुस्लिम बहुल क्षेत्रों के लिए स्वतंत्र देश की माँग की (यानी पाकिस्तान)।
🗳️ कैबिनेट मिशन और प्रत्यक्ष कार्रवाई दिवस
❖ कैबिनेट मिशन (1946):
- ब्रिटिश सरकार ने भारत के भविष्य पर विचार के लिए तीन सदस्यीय मिशन भेजा।
- मिशन ने भारत को एक ढीले-ढाले महासंघ के रूप में बनाए रखने का सुझाव दिया।
❖ मिशन की विफलता:
- लीग और कांग्रेस दोनों को सुझाव मंजूर नहीं हुए।
- स्थिति बिगड़ गई और विभाजन टालना असंभव हो गया।
❖ प्रत्यक्ष कार्रवाई दिवस (16 अगस्त 1946):
- मुस्लिम लीग ने पाकिस्तान की माँग को लेकर आंदोलन छेड़ा।
- इसी दिन कलकत्ता में भयानक दंगे हुए।
- हजारों लोग मारे गए, करोड़ों शरणार्थी बने।
✂️ भारत का विभाजन और स्वतंत्रता (1947)
❖ माउन्ट बैटन योजना:
- ब्रिटिश सरकार ने लॉर्ड माउंटबेटन को भारत भेजा।
- उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 के तहत विभाजन की योजना बनाई।
❖ स्वतंत्रता:
- 14 अगस्त 1947 को पाकिस्तान बना।
- 15 अगस्त 1947 को भारत स्वतंत्र हुआ।
❖ स्वतंत्रता के साथ दुखद विभाजन:
- लाखों लोगों की जान गई, लोग शरणार्थी बन गए।
- नफरत और हिंसा का माहौल फैल गया।
- फिर भी धीरे-धीरे देश संभला और लोकतंत्र की ओर आगे बढ़ा।