ठंड में होने वाली बीमारियां (thand mein hone Wali bimariyan)

           ठंड  में होने वाली बिमारियां


ठंडी का मौसम आते ही हर व्यक्ति की नाक बहने लगती है तो दोस्तों आज हम बात करेंगे ठंड के मौसम में होने वाली तमाम बिमारियां के बारे में जो हमें आमतौर पर हो जाती है और हम काफी परेशान होने लगते हैं चलते हैं दोस्तों
जब नाक से पतला मवाद बहना शुरू हो गया है और इस का General कारण नाक की सुजन हो तो भैया समझ लीजिए आपको जुखाम ने आ घेरा है, और जब यही नमी आपके गले के अंदर टपकने लगे तो आप को नज़्ला हो गया है. अंग्रेजी में बोला जाने वाला लफ्ज 'केटर' (CATARRH) असल में यह लफ्ज़ यूननी है, जिसका मतलब बहने के हैं, यानी गले में बहने वाला नवाद!
इसी तरह आजकल flu और Influenza एक ही बीमारी के 2 नाम है और यह आमतौर पर वबाई जुखाम, वायरस या बैक्टीरिया के वजह से होता है जिसे यूनानी language में (Rhinitis) कहा जाता है। Rhin का मतलब नाक और itis मतलब सुजन या warm के हैं  इस तरह नाक की लार की छिल्ली की सुजन या warm को (retaist) कहते हैं जब के जुखाम में भी यही कुछ होता है, मेरा कहने का मतलब यह है कि एक ही बीमारी के कई नाम है हां यह बात अलग है कि बीमारी कुछ नई या कुछ पुरानी हो सकती है लेकिन सब एक दूसरे के आसपास और एक दूसरे से मिलती-जुलती ही होती है।
हम आपको नीचे जुकाम बुखार से मिलते जुलते कुछ बीमारियों के बारे में बताएंगे जो शायद आपके लिए बेहद फायदेमंद साबित होगा।


(1) मौसमी जुखाम (influenza)

वबाई जुखाम को havay जुखाम कहा जाता है ये छुत से होता है, नाक की लार वाली छिल्ली फुल कर लाल हो जाती है और इसके नतीजे में नाक से मवाद बहना शुरू कर देता है और मरीज छिंक आने लगती हैं ऐसे मरीजों को आमतौर पर सुबह उठने के बाद एक साथ कई बार छींक का सामना करना पड़ता है।
बहार के मौसम में या जब मौसम बदल रहा होता है यह बीमारी लगभग हर किसी को हो जाती है और आमतौर पर वबाई जुखाम की तरह हो जाता है और ज्यादातर देखा गया है कि full family को यह अपने लपेट में ले लेता है इनमें जरा कमजोर आदमियों को बुखार के साथ-साथ सर दर्द भी हो जाता है जबकि ज्यादा ताकतवर आदमी इसकी कुछ परवाह करते ही नहीं।
और हमेशा अंग्रेजी कि इस कहावत को दोहराते हुए इस बीमारी से गुजर जाते हैं कहते हैं जुकाम के लिए दवा लें तो यह एक हफ्ता में ठीक हो जाता है और अगर ना लें तो 7 दिन लगते हैं।

(2) हमेशा रहने वाला flu

जब जुखाम का नियमित रूप से इलाज ना किया जाए या तुरंत heavy medicine (antibiotics) ना ली जाए तो यह बीमारी एक व्यक्ति के बाद दूसरे व्यक्ति पर भी हमला करना शुरू कर देता है और आखिर में एक ऐसे stage पर पहुंच जाता है जिसे हमेशा रहने वाला जुखाम का नाम कहा जाता है ऐसे समय में मरीज बहुत तकलीफ और परेशानी में रहता है और हर समय सर दर्द और बुखार जैसी हालत बनी रहती है

(3) नाक बहना/ जुकाम

जुकाम की हालत में नाक के अंदर के लार वाले छिल्ली मैं सूजन हो जाती है और नाक लगातार बहना शुरू हो जाता है रुकने का नाम नहीं लेता, छिंके आती हैं, तबीयत में सुस्ती छाई रहती है, सर में जकड़न और भारीपन महसूस होता है, सर में दर्द, आंखों में लाली और गले में दर्द होता है, बीमारी का हमला अगर ज्यादा बढ़ जाता है तो खांसी होने लगता है, प्यास ज्यादा लगती है और भूख खत्म हो जाती है, इस बीमारी की वजह यह है कि ठंडी ठंडी हवा में बैठना, नमींदार मौसम में घूमना फिरना, या गीली जमीन पर बैठना, बारिश में भीगना, रात को ज्यादा देर तक सर्दी में रहना, साफ बात यह है कि खुद को सर्दी से ना बचाना।
इसके अलावा और भी यह है कि गरम खाना खाने के फौरन बाद तुरंत ठंडा पानी पी लेना या किसी बाहरी चीज का नाक में चले जाना है।

(4) Influenza

Flu या Influenza के कुछ ही वायरस पाए जाते हैं, जब के जुखाम का सबब बनने वाले virus की तादाद 200 से ज्यादा है, नज्ले से सांस का मामूली सा infection होता है और यह साल में किसी भी वक्त किसी भी मौसम में हो सकता है। जब के इस का उल्टा influenza या flu ठंडी के मौसम में ही होता है, इस का हमला भी बहुत heavy होता है और इसके साथ-साथ शरीर में दर्द, बुखार, थकावट, और कमजोरी जैसे निशानी आने लगती है, असल में नाक बहना और गले की सूजन के साथ सर दर्द इसकी पहली निशानी है। नज्लें की निशानी आमतौर पर 5 से 7 दिन तक रहता है जब के fluenza या flu  2 हफ्ते तक भी रह सकता है यह बीमारी ऑर्थोमाक्सोवायरस (aortomicro virus) की वजह से  होता है इसकि कुछ निशानी है जो हम आप को नीचे बता रहे हैं।

इस प्रकार हैं

  1. सर दर्द
  2. शरीर का दर्द
  3. खांसी
  4. ठंडी लगना
  5. बुखार
  6. और बुखार के बाद कमजोरी
  7. मुंह का मजा बदल जाना

(5) साइनी साइ टस (Sinusitis)

साइन सी, असल में खोपड़ी से नाक की तरफ आने वाली हड्डियों के गड्ढों को कहा जाता है। साइनस की सूजन काफी तकलीफ देती है यह कभी-कभी अपने आप या कभी-कभी ठंड के मौसम में हो जाता है। साइनस की सूजन यानी scienci sites की हालत में झुकने लेटने या खांसी के दौरान ज्यादा होता है इस बीमारी के दौरान नाक का लुआब यानी Mavace नाक से बाहर की तरफ और कभी-कभी अंदर भी बहने लगता है। देखा गया है कि इस कारण आमतौर पर हरा पीला या मटियाला होता है।
इस बीमारी के दौरान नाक आमतौर पर बंद रहने की वजह से मरीज को ज्यादा तकलीफ का सामना करना पड़ता है इसके साथ साथ नाक की महक और मुंह का मजा भी बदल जाता है अगर इसका जल्द से जल्द इलाज न किया जाए तो मरीज को आमतौर पर सर दर्द, नजला, जुखाम, याददाश्त की कमी भूख न लगना, या और भी बहुत सी बीमारियां होने लगती हैं इसलिए इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए
इसलिए जहां तक आप कोशिश करें जल्दी से जल्दी इस बीमारी का इलाज कराना चाहिए इससे लापरवाही और भी आगे बहुत सारी परेशानियों को खड़ा कर सकता है।

(6) टॉन्सिल में सूजन होना ( Enlarged Tonsils)

यह बात मशहूर है कि tonsil की सूजन को tonsils कहा जाता है, बहुत ज्यादा ठंडी में, या बारिश में भीगने, या बदबू सुंघने से भी यह बीमारी हो सकती है, कुछ आदमियों में तो यह बीमारी बार-बार होती रहती है ऐसे लोग बहुत ज्यादा कमजोर होते हैं और उनका शरीर भी किसी हद तक फुर्तीला नहीं होता है वह हर वक्त सुस्त रहते हैं। इस दिखा इस बीमारी की बहुत सी निशानियां है जैसे बहुत ज्यादा बुखार होना, गले में सूजन और दर्द, खाना खाने में तकलीफ, सुस्ती, हर समय उल्टी जैसा मन होना, और गले में टॉन्सिल्स लाल और सूजन का दिखाई देना। बच्चों को यह बीमारियां आम तौर पर होती रहती है,जिसकी वजह से ना सिर्फ बच्चे को बहुत ज्यादा तकलीफ होती है बल्कि बच्चे की दिलो-दिमाग पर भी काफी असर छोड़ता है। कुछ और भी वजह होती है जैसे सेहत की हिफाजत के उसूलों के खिलाफ जिंदगी गुजारना, छोटे और अंधेरे मकान हाथ में बहुत सारे व्यक्तियों का इकट्ठे रहना, बाजार में बिकने वाली चीजों का इस्तेमाल, मसूड़ों और दांतों की तकलीफ, नाक हमेशा बंद होते रहना, इसके अलावा गले में infection और allergy की वजह से भी tonsil में सूजन पैदा हो जाता है, tonsil के ऊपरी हिस्से में सूजन की वजह से खून और सूजने की जो माद्दा जमा होती है वह धीरे-धीरे खेलते हुए करीब tonsils के पॉइंट में जमा हो जाता है जिसकी वजह से वह सफेद रंग का तह बन जाता है, इसे सफाई के जरिए या मामूली ऑपरेशन से भी हटाई जा सकती है, tonsils की बीमारी को शुरू में ही ठीक करने की पूरी कोशिश करनी चाहिए क्योंकि इसके बढ़ने के वजह से और भी दूसरी कई बीमारियां होने का डर है।

(7) खांसी (cough)

हवा की नालियों की लार वाली झिल्ली में सूजन होने की वजह से हमें खांसी होती है, सर्दी की खांसी आमतौर पर सर्दियों में घोड़े और कमजोर व्यक्तियों और बच्चों को भी हो सकती है कुछ दिन रह कर खुद ब खुद अपने आप धीरे-धीरे खत्म हो जाती है अगर इस खासी से परहेज या इसका सही ढंग से नियमित रूप से इसका इलाज न किया जाए तो यह बीमारी बढ़ सकती है जो हमारे शरीर और फेफड़ों के लिए बहुत नुकसानदायक होगा।

(8) छिंके आना ( Sprinkle)

छिंक हमें उस वक्त आती है जब नाक के रास्ते से कोई बहरी चीज अंदर दाखिल हो जाती है लेकिन मानव का शरीर से रहने देना नहीं चाहता, ऐसी हालत में तुरंत छींक आती है जिससे वह बहरी चीज बाहर हो जाए, जिसकी वजह से नुकसान देने वाली चीज है तुरंत बाहर हो जाती है। सांस लेने के parts जैसे नाक, सांस की नली, या फेफड़ों में धुल या तेज बदबू की वजह से छिंक होती है, साफ लफ्जों में समझिए कि छिंक मानव के शरीर का गुस्सा होने का alarm है, होता यह है कि जब कुछ बाहरी चीज है धूल बदबूदार खुशबू या खराशदार चीज नाक में चली जाती है तो नाक के अंदर की पतली झिल्ली जिसे लार की झिल्ली कहते हैं तो वह तुरंत उस चीज को महसूस कर लेती है, नाक की पतली झिल्ली का contact brain से इतना hard होता है कि वह तुरंत उसे इस बात की खबर दे देता है यहां कोई गैर मामूली चीज आ गई है जिसकी वजह से दिमाग उससे खबर मिलते ही वह सांस अंदर लेने और सांस बाहर फेंकने वाले मशीन को मैसेज देता है जिसकी वजह से इंसान पहले तो तेजी से सांस अंदर की तरफ लेता  हवा का दबाव बढ़ जाता है तो यह हवा फेफड़ों से तुरंत बाहर निकलने के लिए जोरदार ताकत लगा देती है और इसी दौरान सांस निकलने के लिए रास्ते खुल जाते हैं उस समय फेफड़े और सांस लेने के एक अजीब सी हालत होती है जो इन्हीं हवा को बाहर निकलने का रास्ता मिलता है फेफड़ों में बंद हवा दबाव की वजह से निहायत तेरी से बाहर खारिज होती है और इस हवा के साथ-साथ खराश पैदा करने वाले चीज भी नाक और मुंह से बाहर निकल आते हैं हम इसे छिंक कहते हैं

हम आपको छिंक के बारे में कुछ रोचक तथ्य बताते हैं
  1. एक छिंक में फेफड़ों और नाक से निकलने वाली नमी minimum 5000 वायरस को भी बाहर निकालता है,
  2. अगर रुमाल बगैरा इस्तेमाल ना किया जाए तो यह वायरस मैक्सिमम 12 फीट दूर तक जा सकता है,
  3.  छींक के दौरान आंखें भी बंद हो जाती हैं क्योंकि कोई भी व्यक्ति आंखें खुली रख कर छींक नह सकता, 
  4. अगर छींक आती हुई महसूस हो लेकिन छिंक फिर भी ना आए तो अपने मुंह को सूरज के सामने इस तरह कर लीजिए कि नाक का का सामना सूरज के ठीक सामने हो जाए तो तुरंत आ जाएगी, खास तौर पर देखा गया है कि जुखाम की हालत में अक्सर समय ऐसा भी होता है कि छिंक ना भी आ रही हो, तब भी सूरज के सामने मुंह करके खड़ा होने से आप छिंकने लगते हैं, नजला जुकाम या फूलों की हालत में बहुत छिंके  आती हैं क्योंकि इस दौरान इंसानी ताकतें कुछ ज्यादा ही busy हो जाती है जिसकी वजह से शरीर किसी भी बाहरी चीज को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करता और एक के बाद एक कई बार छींक  आती है, छिंके आना और उनकी रफ्तार और आवाज हर व्यक्ति की अलग होती है, मेरा मतलब है ठीक की आवाज से जान पहचान वाले व्यक्ति को आसानी से आप पहचान सकते हैं कि उसने छिंक मारी है, कई लोगों को तो देखा गया है कि बहुत बुलंद आवाज और जोरदार तरीके से छिंकते हैं जब के कुछ लोग सिर्फ हिचकी के जैसी आवाज की तरह छिंकते हैं।

(9) नजला, जुखाम से बचाओ और इलाज का आसान तरीका

  1. 3 दिन तक लगातार नाश्ता के 2 घंटे बाद मछली के तेल का आधा चम्मच पीएं, ठंडी के मौसम में रात के वक्त भी आधा चम्मच लिया जा सकता है
  2. ऐसे बच्चे जिन्हें बार-बार नज्ले की शिकायत होती रहती है, 30  दिन तक लगातार मछली का तेल 3-3  बूंद दिन में एक दो बार पिलाना चाहिए
  3. रोजाना रात में मुट्ठी भर भुनी हुए चने छिलके समेत खाइए और फिर एक घंटा तक पानी ना पिया जाए, इससे हमेशा रहने वाली सर्दी से छुटकारा मिल जाएगा।
  4. एक तोला ( minimum 12 gram) सौंफ और सात लौंग, 2 किलो पानी में डाल के चूल्हे पर खुब उबालें, जब 250 ग्राम पानी रह जाए तो एक तौला मिश्री डालकर चाय की तरह पीएं, दो तीन बार इस्तेमाल करने से मौसमी सर्दी जुखाम से छुटकारा मिल जाएगा।
  5. ऐसे लोग जिन्हें आमतौर पर सर्दी जुखाम की शिकायत रहती है या बहुत ज्यादा बहुत ज्यादा सर्दी जुकाम की हालत में हूं तो एक चम्मच हल्का गर्म शहद और एक चौथाई चमची दालचीनी का पाउडर रोजाना 3 बार खांए, इसे से हमेशा रहने वाले खांसी, सर्दी जुकाम और सांस की तकलीफ, और साइ नस (sinuses)  भी दूर हो जाती है, 
  6. मेथी दाने/ मेयथरे भी सर्दी जुखाम, सीने की तकलीफ और mucus को खत्म करती हैं
  7. 40 साल का पुराना सर्दी जुखाम गले की खराबी के लिए रात को सोते वक्त हल्का गर्म दूध के साथ साबित काली मिर्च खाने से बहुत फर्क होता है।

सर्दी जुखाम के लिए लहसन की चटनी

* दो गुठली लहसन की छिल लीजिए, तीन या चार हरी मिर्च, दस बारह लाल साबित मिर्च, आधा चम्मच सफेद जीरा, और हल्की सी नमक लेकर चटनी पीस लें, सर्दी बहने, गला खराब, या खराश की हालत में बेसन की रोटी पकवा कर उस पर थोड़ाा सा भी लगवााइए और इसी चटनी के साथ खा लीजिए।
(लहसुन की तेजी खत्म करने या गर्म  आदमी के लिए लहसन में हरा धनिया मिला लेना चाहिए)

याद रखने की बातें

  • जिस व्यक्ति को सर्दी जुखाम हुआ हो उससे कम से कम पांच फिट के फासले पर रहें वरना आप को भी सर्दी हो जाएगा
  • बच्चों को साल में 5 से 8 बार और जवान मर्द को साल में एक से दो बार सर्दी जुकाम की शिकायत जरूर होती है
  • ऐसी औरतें जिनकी उम्र 21 से 32 साल के बीच नहीं है मर्दों के मुकाबले में औरतों को सर्दी जुखाम ज्यादा होने का डर रहता है
  • सर्दी जुखाम के वायरस सिर्फ ठंडी मौसम में ही नहीं बल्कि हवा में नमी की कमी और सर्दियों में बहुत ज्यादा ठंडी हवा से भी फैलती है
  • सर्दी जुखाम के वायरस की अब तक 250 से ज्यादा प्रकार बताए जा चुके हैं जो ज्यादातर खांसी छींक या थूक से निकलने की वजह से फैलती है
  • ऐसी जगह को हाथ लगाने से जहां सर्दी जुखाम के मरीज मौजूद हो और फिर हाथ धोए बगैर खाना पीना नहीं चाहिए
  • सर्दी जुखाम दो-तीन हफ्तों में खुद ही ठीक हो जाता है दो तिहाई मरीज एक हफ्ते में ही सेहतमंद हो जातें हैं।

किसी स्थान पर अगर सर्दी जुखाम वाले मरीज हो तो आप वहां पर मास्क लगाकर जरूर जाएं, वहां से आने के बाद अपने हाथ, पैर को सैनिटाइज जरूर करें।         

 

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