कुरान का महत्व और इतिहास क्या है

कुरान इस्लाम धर्म की एक पवित्र पुस्तक है जो दुनिया के प्रमुख धर्मों में से एक है। कुरान को अल्लाह या ईश्वर का सच्चा शब्द माना जाता है। अल्लाह ने हजरत मोहम्मद साहब पर जिब्राइल के जरिए पैगाम सुनाया जिसे इस्लाम धर्म के मानने वाले ( वही) कहते हैं।

इस्लाम धर्म के मुताबिक 1400 साल पहले पवित्र कुरान लोगों के सामने आया, कुरान का असल में खुलासा 610 से 632 तक हजरत मोहम्मद साहब के साथी ( सहाबा कहते हैं) ने पूर्ण रूप से एक ग्रंथ जिसे पवित्र कुरान कहते हैं पुस्तक सम्पूर्ण रूप से प्रकाशित किया गया.

अरबी भाषा में पवित्र कुरान शब्द का अर्थ " सबसे ज्यादा पढ़ी जाने वाली किताब "  इस्लाम धर्म के मानने वालों का कहना है कि कुरान ही हमारा सामाजिक, धार्मिक और कानूनी मामलों में अंतिम और आखिरी अधिकार है। 


पवित्र कुरान असल में एक ऐसा ग्रंथा और किताब है कि इसमें अल्लाह ने इंसानों के लिए एक पवित्र, पाक, संदेश (पैगाम) सुनाया है।


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पवित्र कुरान का मकसद



पवित्र कुरान को हजरत मोहम्मद साहब पर उतारने का एक सबसे खास और अहम मकसद यह था, कि अरब के लोगों में शांति और सौहार्द्र लाना, जब हजरत मोहम्मद साहब ने लोगों को पवित्र कुरान सुनाना और इसमें लिखी हुई बातों को लोगों को बताना शुरू किया तो जो अनपढ़ लोग भी जो उस समय के वहां के बादशाह या सरदार हुआ करते थे पवित्र कुरान सुन कर सभ्य हो गए थे। 


कुरान असल में जिंदगी गुजारने, कारोबार, नीति, परंपरा, और भी बहुत सारी चीज़ें को करने का एक बेहतरीन तरीका और रास्ता बताता है क्योंकि पवित्र कुरान सिर्फ यह एक किताब नहीं है।


 

कुरान में क्या है

पवित्र कुरान में जिंदगी गुजारने का तरीका, व्यापार करने का सही और मूल्य तरीका, रिश्तो को समझने और उनकी बारीकियों की तकनीकीओं का जानने का तरीका, युद्ध और जंग में सही किरदार और एक सभ्य समाज बनाने का तरीका, जायदाद का बंटवारा और भी बहुत सारी चीजों के बारे में हमें कुरान बताता है।

इस्लाम धर्म को मानने वाले का कहना है कि पवित्र कुरान एक ऐसा मार्गदर्शन है जो हमें अल्लाह/ईश्वर की तरफ से एक आखिरी और अंतिम पैगाम सुनाया गया है। मुस्लिम इस पवित्र कुरान को धर्म की सच्चाई और अच्छाई का एक पवित्र संदेश मानते हैं।

दुनिया का सबसे पहला इस्लामिक संगठन (सहाबा किराम)


मुस्लिम जानकारों और इतिहास के मुताबिक हजरत मोहम्मद साहब ने मक्के और मदीने में एक आजाद मुस्लिम समुदाय और कुछ साथियों को लेकर गठन किया। 
फिर अपने सारे साथियों को कुरान पढ़ने और कानूनों को सीखने का बिल्कुल मुकम्मल तरीके से आदेश दिया। फिर इसी तरीके से मुस्लिम समाज का एक समूह काफी पढ़ा लिखा, होशियार अकलमंद और ताकतवर बना। 
जो बकरी चराने वाले थे उन्होंने राज्यों और देशों को चलाना सीख लिया। जिन्हें कॉफी और चाय में फर्क का मालूम नहीं था उन्होंने लोगों को राजनीति के गुर और सही तरीके बताने लगे। जिनकी जिंदगियां एक ऊंट और बकरी तक ही महदूद थी, देखते ही देखते उन्होंने पूरी दुनिया पर अपनी हुकूमत का परचम लहरा दिया। उन्होंने रेशम के कारोबार से लेकर वैज्ञानिक तत्वों को भी हिला कर रख दिया।


शुरुआत में कुरान कहां लिखा गया।


मुस्लिम समुदाय और जानकारों के मुताबिक शुरुआत में कुरान तो कुछ लोगों को याद, तो कुछ लोगों को कहीं कहीं पर और थोड़ा थोड़ा सा याद भी था। फिर इसे तख्तो, जानवरों के खालो पर, लकड़ियों और हड्डियों पर, खजूर के पत्तों और घर की दीवारों पर दर्ज किया गया था।


पवित्र कुरान को संपूर्ण रूप से एक पुस्तक के रूप में प्रकाशित कब किया गया ?


सन 632 में हजरत मोहम्मद साहब के निधन/मौत के बाद कुरान को लिखा गया। 


कुरान को कैसे और किसने लिखा।


शुरुआत में हजरत मोहम्मद साहब के कुछ साथियों और साथ रहने वाले लोगों को कुरान तो पूरा पूरा याद था। फिर इसके बाद एक बड़ी बैठक बुलाई गई, जिसके अध्यक्ष हजरत अबू बकर ने सन 634 में पवित्र कुरान को एक पुस्तक/ किताब के रूप में इकट्ठा और जमा करने का आदेश दीया।


पवित्र कुरान के प्रथम लेखक कौन थे ?

कुरान की सबसे पहले और बड़े लेखक हज़रत ज़ैद बिन साबित ने सन 655 में पहले खलीफा/ नेता हजरत अबू बकर के मातहत में पवित्र कुरान को इकट्ठा/ जमा करके एक किताब/पुस्तक की शक्ल दी। क्यों ?

जब हजरत मोहम्मद साहब कुरान सुनाया करते थे तो उस वक्त जैद बन साबित ही सबसे ज्यादा लिखना और पढ़ना जानते थे।

मैंने आपसे पहले ही कहा है कि हजरत मोहम्मद साहब उम्मी/ पढ़े लिखे नहीं थे लेकिन हजरत मोहम्मद साहब को अल्लाह ने सारे इंसानों से ज्यादा नॉलेज और जानकारियां दी थी। ऐसा मुस्लिम धर्म के मानने वालों का कहना है।


कुरान के बारे में खास रोचक तथ्य


ऐसे तो कुरान के बारे में मैंने खास और दिलचस्प रोचक तथ्य  और महत्वपूर्ण जानकारियां इकट्ठा करके और कुछ रिसर्च करके नीचे लिखा है।

लेकिन सबसे ज्यादा पवित्र कुरान के बारे में दिलचस्प बात यह है कि जब से पवित्र कुरान को प्रकाशित किया गया है, तब से लेकर आज तक कोई बदलाव या अपडेट नहीं हुआ है।

मेरा कहने का मतलब यह है कि इसमें किसी भी प्रकार, या किसी के द्वारा कोई एक भी बदलाव नहीं किया गया है सबसे शुद्ध और जैसा हजरत मोहम्मद साहब के साथियों के समय में लिखा गया था वैसे आज भी मुसलमानों और इस्लाम धर्म के मानने वालों के पास मौजूद है।


पवित्र कुरान को किसी दूसरे भाषा में लिखना कैसा है?


कुरान को किसी और भाषा में लिखना भी इस्लाम धर्म के जानकार और विशेषज्ञों के हवाले से नाजायज (सही नहीं) है।


इस्लाम धर्म की मान्यता


इस्लाम धर्म को मानने वाले का कहना यह है कि अल्लाह ने सबसे पहले फरिश्तों को नूर/रोशनी से पैदा किया है। फिर इसके बाद जिन्न/ शैतान को आग से पैदा किया है। फिर मिट्टी से हजरत आदम को और हजरत आदम के बांए पसली से हजरत होव्वा (हजरत आदम की बीवी) को पैदा किया है।

इस्लाम धर्म के जानकारों और विश्लेषकों का मानना यह है कि अल्लाह ने शैतान और फरिश्तों को हुक्म दिया था के तुम लोग हजरत आदम को सजदा करो। फरिश्तों ने अल्लाह की बात  को मान लिया और सजदे में चले गए लेकिन शैतान नहीं माना बल्कि वह अपने आप को ही सही ठहराने लगा।

शैतान ने क्या कहा ?

कहने लगा आपने हमें आग से पैदा किया है और हजरत आदम को मिट्टी से और आग मिट्टी से ज्यादा ताकतवर होती है यह बहस और दलील अल्लाह ताला को पसंद नहीं आई तो उसने शैतान को जन्नत/स्वर्ग से निकाल दिया।

फिर अल्लाह ने हजरत आदम और उनकी बीवी हजरत अबू हुआ को एक पेड़ के करीब जाने के लिए मना किया था, लेकिन शैतान इसे फिराक में बैठा था कि हम कैसे भी करके हजरत हव्वा को बहला-फुसलाकर उस पेड़ के करीब कर दें जिससे हजरत आदम को भी जन्नत से निकाल दिया जाए।
और फिर हुआ भी ऐसा ही।

मुस्लिम विश्लेषकों और उलेमाओं के हवाले से फिर अल्लाह ने भी हजरत आदम और बीबी हव्वा को भी जन्नत से निकाल दिया और साथ ही बहुत नाराज भी हो गए।हजरत आदम को बहुत शर्मिंदगी हुई, फिर हजरत आदम ने हजरत मोहम्मद साहब के हवाले से दुआ करते हुए अपनी माफी कराई।

जिसमें अल्लाह ने हजरत आदम से कहा कि आपको एक समय और कुछ दिनों के लिए धरती पर भेजा जा रहा है जहां आप की औलादें/ संतानें होंगी फिर यह नस्ल बढ़ता चला जाएगा जिसकी वजह से पृथ्वी पर एक दुनिया बस जाएगी।

मुस्लिम विश्लेषकों, जानकारों, इस्लाम धर्म के उलेमाओं के हवाले से सभी अच्छे और बुरे कामों का हिसाब क्यामत के दिन ( जिसे मुसलमान आखिरत कहते हैं) होगा।


अल्लाह ने अपने पैगंबर/दूत कितने भेजें ?

मुस्लिम विश्लेषकों और उलेमाओं के हवाले से अल्लाह ने अपने पवित्र संदेश और पैगाम को लोगों तक पहुंचाने के लिए 1 लाख 24 हजार पैगंबर/ दूत  भेजें।


दुनिया में दूत क्यों आते थे? 

जो इंसानों को पवित्र कुरान में लिखी गई बातों और आदेशों को सुनाते और इस्लाम धर्म के नियम और कानून को लोगों को बताते। मुस्लिम कहते हैं कि इन 124000 पैगंबर में से हजरत मोहम्मद साहब सबसे आखरी/अंतिम पैगंबर थे।

फिर जो किताब हजरत मोहम्मद साहब पर यानी पवित्र कुरान उतारा गया यह भी अल्लाह की तरफ से एक आखिरी किताब होगी अब इसके बाद कोई किताब या कोई नया पैगंबर या नबी नहीं आएगा।


इस्लाम और कुरान का संदेश

  • तुम लोग जमीन पर बेकार में खून खराबा ना फैलाओ
  • धरती पर एक दूसरे की बुराई में ना लगे रहो
  • बेवजह पानी का बहाव
  • अगर जरूरत पड़ जाए जंग करने की तो जहां तक हो सके सुलह( बात से हल) करने की कोशिश करो 
  • अपने पड़ोसियों का खास ख्याल रखो चाहे वह कोई भी हो जैसे हिंदू, सिख, ईसाई, यहूदी आदि
  • बात बात पर गुस्सा ना करो
  • आपका पड़ोसी भूखा ना सोए, अगर आपके गांव मैं अगर कोई भूखा सोता है तो गुनाह/ पाप होगा
  • जो भी आपको दिया गया है या आपके पास है अल्लाह का शुक्रिया अदा करें, कमियां और खामियां ना निकाले। आप जितना अल्लाह का शुक्रिया अदा करेंगे अल्लाह आपको और देगा और आपकी चीजों को बढ़ाता रहेगा।
  • अगर कोई आपको परेशान करें या किसी तरीके की कोई तकलीफ दे तो आप उसे माफ कर दो। लेकिन अगर वह बार-बार ऐसा ही करता हो जिससे आपको तकलीफ होती हो तो आप भी उनके साथ वैसा ही करो जैसा उसने आपके साथ किया लेकिन याद रहे आपको ज्यादा नहीं करना है।
  • गाली गलोज, झूठ, मारपीट, आपसी झगड़े, एक दूसरे की चुगली‌ और किसी के बारे में गलत बात से दूर रहो।
  • आप हमेशा एक सच्चे और अच्छे इंसान बन कर रहो
  • नमाज पढ़ो
  • जकात दो/ जकात मुसलमान अपने संपत्ति/ जायदाद के 40 व हिस्से में से एक हिस्सा गरीब और कमजोर लोगों को देने के लिए होता है।
  • दीन और दुनिया दोनों में तरक्की हासिल करो
  • आलसी और काहिली को दूर करो
  • हमेशा दूसरों की भलाई के बारे में सोचो
  • कभी किसी को बुरा मत कहो
  • बेकसूर का बेवजह कत्ल ना करो 
  • अगर किसी बात पर जंग हो जाए तो बच्चे, बूढ़े, औरत, पेड़, धार्मिक स्थल, आदि को मत तोड़ो
  • औरत हमेशा पर्दे (अपने शरीर को किसी बड़े कपड़े से ढके रहना) में रहे।
  • मर्द अपनी नजरों को नीचे रखें। 
  • साफ सफाई का ख्याल रखें/ इस्लाम धर्म में साफ-सफाई को आधा ईमान कहा गया है।
  • अपने माता-पिता की इज्जत करें, अगर आपको किसी बात पर तकलीफ होती है तो आप अपने माता-पिता से उफ्फ भी नहीं करें, किसी बात पर झिड़की मत मारें, हमेशा उनके लिए दुआएं/ प्रार्थना करें, नाराज या गुस्सा हो जाए तो मनाने के लिए किसी हद तक जाएं। अगर आप यह सब चीज है करते हैं तो आपको उनका बदला दुनिया में भी मिलेगा और मरने के बाद भी मिलेगा जो कभी भी खत्म नहीं होने वाली है।
  • अगर आपके पास अल्लाह/ ईश्वर ने ज्यादा दिया है तो आप लोगों की मदद करें।
  • लोगों को अच्छा और सीधा रास्ता दिखाएं
  • चोरी करने वाले का हाथ काट दें
  • रेप करने वाले को 80 कोड़े लगाएं
  • आप किसी पर वोहतान/बदनाम ना लगाएं
  • गंदी चीज ह और बुरी चीजों को देखने, सुनने, छूने से और उसकी तरफ जाने से भी दूर रहें।

इस्लाम धर्म के स्तंभ

इस्लाम धर्म के मानने वाले और जानकारों के हवाले से नाम में पांच चीजें फर्ज/स्तंभ है। जिसे हर हाल में हर मुसलमान को करना पड़ेगा।

  1. गवाही देना- यह मानना के अल्लाह के सिवा कोई इबादत/पूजा के लायक नहीं है और हजरत मोहम्मद साहब अल्लाह के आखिरी नबी/पैगंबर/दूत है जो हमें अल्लाह का पवित्र संदेश और पैगाम सुनाते थे।
  2. नमाज- दिन और रात में पांच वक्त नमाज पढ़ना पढ़ना
  3. ज़कात-अपनी संपत्ति/दौलत/जायदाद के 40 वां हिस्से में से एक हिस्सा का पैसा गरीब को में बांटना/दान करना
  4. रोज़ा-रमजान के महीने का रोजा रखना
  5. जिंदगी में एक बार जरूर हज करना, अगर आपको अल्लाह ने दिया हो तो।

पवित्र कुरान और विज्ञान


इस्लाम धर्म के मानने वालों का कहना है कि कुरान एक वैज्ञानिकता को दर्शाने  वाला एक पवित्र किताब है। इस्लाम धर्म के मानने वालों ने कई सारे रिसर्च के बाद दावा किया है कि विज्ञान जो आज के समय में कर रहा है, वह सभी की सारी चीजें कुरान में पहले से ही मौजूद हैं।

कुछ तत्व हम आपको बताते हैं.

  • शरीर में बीमारी की शुरुआत पेट से होती है
  • जीवन की शुरुआत पानी से हुई है और इस बात को वैज्ञानिक भी कहते हैं कि जीवन की शुरुआत पानी से ही हुई है जबकि कुरान का आज से 1400 साल पहले का दावा यह है कि जीवन की शुरुआत पानी से ही हुई है.
  • चंद्रमा सूर्य और सारे ग्रहों का एक दूसरे के इर्द गिर्द भी घूमना पुराने 14 साल पहले अपनी किताब में बताया है।
  • वैज्ञानिक का कहना है कि इंसान के दिमाग का विकास 40 साल की उम्र में ठहर जाता है तो वहीं पवित्र कुरान 1400 साल पहले यही बात अपनी किताब में बताई है।
  • औरतों की परेशानियों बीमारियों और भ्रूण गर्भपात और भी कई जुड़ी हुई मामलों के बारे में कुरान ने 14 साल पहले बताया है।
  • साइंस का दावा है कि हर इंसान के अंगुलियों के निशान/फिंगरप्रिंट एक दूसरे से अलग अलग होते हैं जबकि कुरान ने आज से 14 साल पहले यह बात अपनी किताब में बताई है।

भाषा

आज के समय में कुरान का अनुवाद कई भाषाओं में किया जा चुका है। कुछ हिंदी और उर्दू अनुवादक पुस्तक/किताबों के नाम ये हैं:


मुस्लिम समुदाय का किरदार

कुरान की अरबी भाषा में होने की वजह से मुस्लिम धर्म के लोगों ने अरबी भाषा को इतना सीखना जरूरी समझा कि वह इस्लाम धर्म की (पूरी दुनिया की सबसे पवित्र किताब) कुरान को पढ़ सके। ज्यादातर देखा गया है कि अब पुरी दुनिया अरबी में ही कुरान का पाठ किया जाता है। 


कुछ खास बातें 


  1. कुरान शब्द का अर्थ है सिर्फ पढ़ना या बहुत ज्यादा पढ़ी जाने वाली किताब
  2. पवित्र कुरान का सबसे पहला संदेश इक्रा (तुम पढ़ो) है
  3. पवित्र कुरान पुरी दुनिया में सबसे ज्यादा पढ़ी जाने वाली किताब है
  4. पवित्र कुरान के कुल 8 नाम है
  5. पवित्र कुरान को ही पुरी दुनिया में सबसे ज्यादा बिना देखे याद किया गया है। ( जिसे लोग हाफिज बोलते हैं )
  6. पवित्र कुरान पुरी दुनिया में सबसे ज्यादा मशहूर किताब है
  7. पवित्र कुरान पुरी दुनिया में सबसे ज्यादा पुरानी किताब है
  8. पवित्र कुरान हजरत मोहम्मद साहब पर जिब्राइल के जरिए सुनाया गया।
  9. पवित्र कुरान में 30 पाठ हैं
  10. पवित्र कुरान में सूरह की कुल संख्या 114 है
  11. कुरान में आयतों की कुल संख्या 6666 हैं
  12. पवित्र कुरान 22 साल 5 महीने और 14 दिनों तक हजरत मोहम्मद साहब पर जिब्राईल के जरिए सुनाया गया।
  13. पवित्र कुरान में जो सबसे पहली सूरह हजरत जिब्राईल के जरिए सुनाया गया वो सूरह अल- इक्रा है
  14. पवित्र कुरान का प्रकाशक और लेखक खुद अल्लाह या ईश्वर है।
  15. मक्की सूरह की कुल संख्या 86 है
  16. मदनी सूरह की कुल संख्या 28 है
  17. रुकूओं की कुल संख्या 540 है (कुछ किताबों में 558 है
  18. सजदों की कुल संख्या 14 है
  19. पवित्र कुरान में सबसे पहला सज्दा 9वां पारे में है
  20. पवित्र कुरान में सात चरण (मंजिल) है
  21. पवित्र कुरान में कुल शब्द की संख्या 323760 है
  22. पवित्र कुरान में कुल जबर की संख्या 53243 है
  23. पवित्र कुरान में कुल जेर की संख्या 53243 है
  24. पवित्र कुरान में कुल पेश की संख्या 8804 है
  25. पवित्र कुरान में कुल मद की संख्या 1771 है
  26. पवित्र कुरान में कुल तशदीद की संख्या 1243 है
  27. पवित्र कुरान में कुल नुक्ते की संख्या 105681 है
  28. पैगंबर जिनके नाम पवित्र क़ुरआन में है उनकी संख्या 25 है
  29. पवित्र कुरान में अल्लाह के कुल नामों की संख्या 99 हैं
  30. पवित्र कुरान में सबसे छोटा सूरह अल-कौसर है
  31. पवित्र कुरान में सबसे लंबा और बड़ा सूरह अल-बकराह है
  32. पवित्र कुरान में सबसे आखरी सूरह अल-नास है
  33. पवित्र कुरान में सबसे पहली सूरह अल- फातिहा है
  34. कुरान में कलिमा तैय्यबा दो बार है
  35. पवित्र कुरान में हज़रत मुहम्मद साहब का नाम आने की संख्या कुल 4 हैं
  36. पवित्र कुरान में हज़रत मुहम्मद साहब के 102 नाम हैं
  37. सूरह अल-रहमान को ज़ीनत-उल-कुरान भी कहा जाता है
  38. पवित्र कुरान का दिल सूरह अल-यासीन है
  39. पवित्र कुरान में नमाज पढ़ने के लिए 700 बार कहा गया है
  40. पवित्र कुरान की सबसे पहली सूरह अल-फातिहा को 1000 से ज्यादा बिमारी से शिफा बताया गया है
  41. पवित्र कुरान के सूरह अल-नम्ल में बिस्मिल्लाह (بسم اللہ الرحمن الرحیم) दो बार आया है
  42. पवित्र कुरान के सूरह अल-तौबा में बिस्मिल्लाह ( بسم اللہ الرحمن الرحیم) नहीं है
  43. पवित्र कुरान में पैगंबरों में सबसे ज्यादा हज़रत मुसा साहब के बारे में कहा गया है
  44. हजरत मुसा साहब को (यहुदी धर्म) अपना पैगम्बर मानते हैं
  45. हजरत मुसा साहब को तोरह ( टौरैत) अल्लाह की तरफ से तुर के पहाड़ पर दी गई थी।
  46. 8 वें हिजरी में मक्का पर विजय हासिल की गई।
  47. 6 वीं हिजरी में हुदैबिया की संधि पर हस्ताक्षर किए गए।
  48. हजरत मोहम्मद साहब ने 10वीं जिल-हिज्जा पर मैदान ए अराफात में अपना विदाई ऐलान किया।
  49. पवित्र कुरान की पहली सूरह खजूर के पत्तों पर लिखी गई
  50. पवित्र कुरान में ऐराब (ज़बर, जेर, पेश) हैज्जाज बिन यूसुफ़ ने लगाए
  51. पवित्र कुरान में सबसे पहली वही ( जिब्राईल के जरिए सुनाया गया) रमजान के महीने में हूई
  52. पवित्र कुरान की सबसे पहली हाफिजा एक औरत हफ्सा बिन्त उमर (حفصہ بنت عمر) थी
  53. पवित्र कुरान में सबसे ज्यादा शब्द अलिफ़ (الف) आया है
  54. पवित्र कुरान में सबसे कम आने वाले शब्द ज़ा ( ظ) है
  55. पवित्र कुरान में पांच देश और शहरों का नाम आया है
  56. पवित्र कुरान में सबसे आखिरी सूरह अल-नस्र है
  57. कुरान के अनुसार: चार आसमानी किताबें हैं (1) कुरान (2) जबुर (3) इंजिल (बाईबल) (4) तौरैत (टौरैठ)
  58. कुरान के अनुसार: कुरान हजरत मुहम्मद साहब को दिया गया
  59. कुरान के अनुसार: ज़बूर हजरत दाऊद अलेहिस्सालाम को दिया गया
  60. कुरान के अनुसार: इंजील हजरत ईसा अलैहिस्सलाम को दिया गया
  61. कुरान के अनुसार: तौरैत हजरत मुसा अलैहिस्सलाम को दिया गया

  • पवित्र कुरान में आने वाले हर शब्द की हिंदी वर्ण और संख्या

No. हिंदी उर्दू संख्या
1. अलिफ़ (ا  (الف  48872
2. बा      با ) ب) 11228
3. ता      ت 1199
4. सा      ث 1276
5. जीम       ج 3273
6. हा       ح 973
7. ख़ा       خ 2416
8. दाल      د 5642
9. ज़ाल       ذ 4697
10. राॅ      ر 11793
11. ज़ा      ز 1590
12. सीन      س 5893
13. शीन       ش 2253
14. शाद        ص 2013
15. ज़ाद        ض 1607
16. ताॅ        ط 1273
17. जाॅ         ظ 842
18. ऐन        ع 92200
19. गैन        غ 2208
20. फ़ा        ف 8499
21. क़ाफ        ق 6813
22. काफ       ک 9522
23. लाम       ل 3432
24. मीम        م 26535
25. नून        ن 26560
26. वाव        و 2556
27. हॉ        ھ 1907
28. लाम-अलिफ        لا 3720
29. हम्ज़ा        ء 4115
30. य़ा     ی 25919
कुल 30   30 323760

 




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