औरतों का जमात में जाना / oratoun ka jamat me jana ।

सवाल 17367
शीर्षक : औरतों का जमात में जाना ।

सवाल : मेरा सवाल औरतों की जमात के बारे में है जब शरियत औरतों को इसका मुकल्लफ ( बाध्य ) नहीं समझती तो औरतों की जमात कसरत से निकल रही है, उलमा ए देवबंद शरियत के खिलाफ़ वर्जी ( उल्लंघन ) को रोकते क्यों नहीं?
कृप्या करके जवाब जल्द दीजिए।
بسم اللہ الرحمن الرحیم 
2096=1670-1 1/1430
औरतों को दावत ओ तबलीग का मुकललफ ( बाध्य ) नहीं बनाया गया है , उन्हें पर्दा में रहने का हुक्म दिया गया है यहां तक कि पांच फर्ज नमाज़ के लिए मस्जिद में जाने के लिए भी रोका गया है , लिहाजा घर पर ही रह कर दीन को सीखने सिखाने का काम करना चाहिए, बल्कि मर्दों को चाहिए के दीन सिख कर अपनी औरतों को सिखलाए, निकलना असल मकसद नहीं है बल्की दीन का सीखना उस पर अमल करना असल मकसद है, फितना का दौर है इस लिए सलामती इसी में है कि इस से एहतियात ( बचना) चाहिए।   
واللہ تعالیٰ اعلم
दारुल इफ्ता , 
दारुल उलूम देवबंद , 

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