वो बारिश की कामना करता रहा,
अपने घर में पानी टपकता देख!
यह किसान है जो सत्ताधारियों के आगे बेबस और लाचार पड़ गया!
आजमगढ़ मे बन रहे अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट में वृद्ध किसानों की घर–जमीन जा रही है!
जमीन बचाने के लिए वे धरने में बैठे है!
न किसी को इन बेबस किसानों की आंसू दिखी और न कोई नैशनल मीडिया इनकी आवाज बनी!
कई दिनों से धरने में बैठे किसान रो रहे है, बिलख़ रहे है...पर सरकार आंख–कान बंद करके बैठी है!
कैसे कोई इतना निर्दयी हो सकता है?
एक यूजर लिखते हैं
बरसात से बचने के लिए जिसके पास नहीं है छाता,
किसी तरह गुजर बसर करके बस है कमाता खाता,
जाने कितने वर्षों से हम सबके लिए जो है अनाज उगाता,
आज कितना बेबस लाचार है हम सबका अन्नदाता,
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