15 अगस्त 1947 की रात जब देश आजाद हुआ और जवाहरलाल नेहरू भाषण देने संसद में आए तो उन्होंने सिर्फ 2 लोगों के नाम उस दिन लिये। पहला नाम महात्मा गांधी का लिया जिनके नेतृत्व में कांग्रेस ने पूरी लड़ाई ली थी और दूसरा नाम लिया अपने छोटे भाई, अपने पुराने दोस्त सुभाष चंद्र बोस का।
जब द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान सुभाष चंद्र बोस देश के आजादी के लिए विदेशी समर्थन जुटाने की कोशिश कर रहे थे तब सावरकर अंग्रेजों को पूर्ण सैनिक सहयोग की पेशकश कर रहे थे। अंग्रेज शासकों के साथ सहयोग करने की अपनी नीति का इन शब्दों में ख़ुलासा करते हैं- "देश भर के हिंदू
संगठनवादियों को दूसरा सबसे महत्वपूर्ण और अति आवश्यक काम यह करना है कि हिंदुओं को हथियार बंद करने की योजना में अपनी पूरी ऊर्जा और कार्रवाइयों को लगा देना है। जो लड़ाई हमारी देश की सीमाओं तक आ पहुँची है वह एक ख़तरा भी है और एक मौक़ा भी।"